देवेंद्र फणडवीस ने किया खेला शिंदे हुए Maharashtra से बाहर
महाराष्ट्र में सरकार बनने के बाद से लगातार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच तल्खियां बनी हुई हैं और कुछ सामान्य सा नहीं लग रहा है, और जो भी वहां घटनाक्रम हुए उसके बाद भी ऐसा लग रहा है कि कुछ ठीक नहीं चल रहा है लेकिन अब जिस तरह से इस तरह की खबरें आने लगी हैं कि केंद्र का जो नेतृत्व है उसके इंटरवेंशन के बाद एकनाथ शिंदे या तो उप मुख्यमंत्री के तौर पर काम या केंद्र में उनको कोई मंत्री पद महत्त्वपूर्ण मंत्री पद दिए जाने के आश्वासन दिया गया है जिसके बाद कुछ चीजें बेहतर होती हुई लग रही है और इस तरह की ज्यादा संभावनाएं दिख रहीं है कि अब जब भी केंद्र में रिसफल होगा मतलब मंत्री पद पद का विस्तार होगा मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो एकनाथ शिंदे दिल्ली शिफ्ट हो सकते हैं ।
शुरू से एकनाथ शिंदे उप मुख्यमंत्री पद के लिए नहीं थे तैयार
वैसे मामले की शुरूआत तभी हो गई थी जब बड़ी मुश्किल से एकनाथ शिंदे इस बात के लिए सहमत हुए थे कि वह उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और उसके बाद से गार्डियन मिनिस्टर के अपॉइंटमेंट को लेकर के विवाद रहा। जिसमें जहां पर शिवसेना का गार्डियन मिनिस्टर चाहिए था वहां देवेंद्र फडणवीस ने भारतीय जनता पार्टी का गार्डियन मिनिस्टर बनाया, विशेष रूप से नासिक में और रायगढ़ में यह मामला ज्यादा विवाद में था तो कंट्रोवर्सी थी गार्डियन मिनिस्टर्स को लेकर के । नासिक और रायगढ़ में बहुत सारे नेताओं में किसको क्या जिम्मेदारी दी जानी चाहिए सरकार के स्तर पर संगठन के स्तर पर इसको लेकर के भी मामला दोनों घटक दलों के बीच ठीक नहीं चल रहा था।
Medical Aid Cell बनाना एकनाथ शिंदे की फणडवीस को चुनौती
उसके बाद एक चीफ मिनिस्टर रिलीफ फंड मुख्यमंत्री के नाम से होता ही है लेकिन उसके अलावा एक मेडिकल एड सेल शिवसेना ने बना दिया था मतलब यह कहिए कि एकनाथ शिंदे ने बना दिया था जो गैर जरूरी था और यही दिख रहा था कि दोनों नेताओं के बीच में कुछ अच्छा चल नहीं रहा है
War Room Meeting – कैबिनेट मीटिंग से एकनाथ शिंदे की दूरी
इसके अलावा इन सब के मद्देनजर अगर इन सब चीजों को देखा जाए तो एकनाथ शिंदे जितनी भी वार रूम की मीटिंग हो कैबिनेट मीटिंग हो जो महत्त्वपूर्ण बैठकें होती थी जिसमें मुख्यमंत्री दोनों उप मुख्यमंत्री का मौजूद होना जरूरी था उन दोनों मुख दोनों उन सभी बैठकों में एकनाथ शिंदे नदारद रहते थे जबकि अजीत पवार जो है वह सब में मौजूद रहते थे तो जो दिखा वह यही था कि देवेंद्र फणडवीस और एकनाथ शिंदे के बीच कुछ भी ठीक नहीं है। यहां तक कि उन्होंने बयान भी दिया था कि जो लोग मुझे हल्के में ले रहे हैं वो मुझे हल्के में ना लें। हालाकि बाद में उन्होंने क्लेरिफाई किया कि इसका उनके और देवेंद्र फडणवीस के कोड वार जैसा कुछ नहीं है इसको उस ढंग से नहीं लेना चाहिए ।एक चीज और बहुत महत्त्वपूर्ण है जिसको ध्यान दिया जाना चाहिए अभी जब दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शपथ ली तो यह दोनों नेता दिल्ली में थे, देवेंद्र फडणवीस भी आए थे और एकनाथ शिंदे भी आए थे, लेकिन सबसे बातचीत हुई और बहुत बॉडी लैंग्वेज से एकनाथ शिंदे बहुत नाराज से इस तरह से नहीं दिख रहे थे, लेकिन एकनाथ शिंदे की नाराजगी जो है वह शायद देवेंद्र फडणवीस से लगती है जो एकनाथ शिंदे को घास डालते हुए नहीं नजर आए इसलिए कि पूरे फंक्शन के दौरान दोनों नेताओं के बीच में बातचीत नहीं हुई । जबकि अजीत पवार जो है वह देवेंद्र फडणवीस के बगल ही बैठे हुए थे।
State Road Transport Coperation पर शिंदे मंत्री की जगह IAS की नियुक्ति से बढ़ा विवाद
इन सबसे अलग जो सबसे महत्त्वपूर्ण बात थी कि महाराष्ट्र स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन है उसका चीफ जनरल जो होता है वह ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर होता है लेकिन यहां पर जब देवेंद्र फडणवीस ने एक आईएएस ऑफिसर को नियुक्त किया था तो उसके बाद और लगने लगा कि चीजें ठीक नहीं गई थी ।
Modi Govt में कोई मंत्री पद देकर दूर की जाएगी शिंदे की नाराजगी
अब यह जो आपस का विवाद है या नाराजगी है वो कम कैसे होगी , इस तरह का एक प्रपोजल शिवसेना के पास पहुंचा जिसमें उनको बोला गया कि अगर आपको आप अगर कंफर्टेबल नहीं है अगर आपको लग रहा है कि आप उप मुख्यमंत्री के तौर पर काम नहीं कर सकते हैं तो आपको एक ऑप्शन दिया जाता है कि आपको मोदी सरकार में कोई मंत्री पद ले लीजिए इसलिए कि अभी शिवसेना का कोई रिप्रेजेंटेटिव केंद्र सरकार में नहीं है कोई भी मंत्री शिवसेना का और एक राज्य मंत्री और एक कैबिनेट मंत्री शिवसेना को मिल सकता है तो उसके दृष्टि उस दृष्टि से केंद्र सरकार का प्रपोजल जो जानकारी है व केंद्र सरकार का एक प्रपोजल था वह शिवसेना के पास है और इस मामले पर चर्चा करने के लिए शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे खेमा है, ने अपने पुत्र जो लोकसभा सदस्य हैं उन्होंने केंद्रीय नेताओं से बातचीत के लिए उनको भेजा और इस पर चर्चा हुई । इस चर्चा के बाद इस तरह की बात निकल कर के आई कि एकनाथ शिंदे जो है वह कोई महत्त्वपूर्ण मंत्रिमंडल केंद्र सरकार में ले सकते हैं, उसके बाद ही जो संबंधों का जो खटास संबंधों का जो तीखापन नजर आ रहा था वो कम हुआ इसलिए कि इस बैठक के बाद श्रीकांत शिंदे की मीटिंग हुई केंद्र केनेताओं के साथ उस बैठक के बाद ही यह निर्णय लिया गया कि जो ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का चेयरमैन है वह ब्यूरोक्रेट था आईएस अधिकारी था उसकी बजाय एक बार फिर मंत्री के पास जाए चला गया ।
BMC चुनाव से पहले एकनाथ और फणडवीस के बीच की जंग खत्म करना जरूरी
महाराष्ट्र में जो एक विवाद चल रहा था या महाराष्ट्र में जो दो नेताओं के बीच रस्साकशी चल रही थी उस रस्साकशी को खत्म करने के लिए केंद्र ने हस्तक्षेप किया क्योंकि बीएमसी चुनाव से पहले, जो बहुत महत्त्वपूर्ण होता है किसी भी सरकार किसी भी राजनीतिक दल के लिए उसको जीतना उसके लिए इन दोनों नेताओं का मनमुटाव खत्म करना बहुत जरूरी था।