Maharashtra —ठाकरे भाईयों का मिलन -होने वाला बड़ा खेला

महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार में कुछ भी होता है चर्चा का विषय बन जाता है अब latest चर्चा बनी हुई है कि क्या दो भाइयों का मिलन होने वाला है। जी हां यहां बात हो रही है उद्वव ठाकरे और राज ठाकरे की । हाल ही उद्धव और राज ठाकरे एक फंक्शन में जिस गर्मजोशी से मिले लगने लगा कि दोनों ही राजनीती में अपने गठबंधन को लेकर सारियस है। दरअसल राज ठाकरे को बाकायदा उद्धव की पत्नी के भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए निमंत्रण मिला था और सारे गिला शिकवा भुलाकर राज वहां पहुंचे और थे और जिस तरह से दोनों भाई आपस में बात करते और ठहाके मारते दिखे चर्चाएं चल निकली, वैसे इससे पहले भी पिछले सप्ताह दोनों की मुलाकात हुई थी। सबको पता है कि दोनों भाई साल 2006 में राजनीतिक रूप से अलग हो गए थे। उसके बाद उद्वव जब तक बीजेपी के साथ रहे ठीक रहे लेकिन अब उनका राजनीतिक भविष्य ठीक नहीं है , दूसरी तरफ राज ठाकरे तो आगे बढ़ ही नहीं पा रहे हैं। फिर हाल ही में जिस तरह के राज्य विधानसभा चुनावों में दोनों दलों की बुरी हार हुई उसके बाद माना जा रहा है कि
दोनों दल मराठी वोटों को एकजुट करने के लिए एकसाथ आने को तैयार बैठे हैं, यहां तक की दोनों दलों के नेता भी कह रहे हैं कि मराठी समुदाय की खातिर दोनों भाईयों को एक साथ आना चाहिए। वैसे हाल ही के विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे ने जिस तरह सो उद्वव की मदद की थी वह चर्चा में आई थी , दरअसल राज ने कईं ऐसी सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जहां बीजेपी का दबदबा था पर वोट बंटने के कारण यहां उद्वव के उम्मीदवार जीत गए थे, दोनों भाइयों के बीच सुलह की शुरूआत वहीं से मानी जा रही थी।

Delhi -कोई भी दल सफाई की तरफ ध्यान क्यों नहीं देता

लगता है दिल्ली में सफाई व्यवस्था भी राजनीती का शिकार बन चुकी है जहां पहले दिल्ली से प्रेरणा लेकर इंद्रौर और सूरत जैसे शहर अपने यहां सफाई की मिशाल पेश कर रहे थे पर अब समय के साथ साथ गंदी राजनीती दिल्ली को भी गंदा करने पर तुल गई है। जहां एक तरफ किसी भी पार्टी के चुनावी ऐजेंडे में दिल्ली को साफ रखने का दूर दूर तक जिक्र नहीं है वहीं दूसरी तरफ वोट बैंक को लुभाने के लिए दिल्ली में गंदगी फैलाने वालों पर कार्रवाई नहीं होने की बात भी सामने आ रही है। पता चला है कि दिल्ली को स्वच्छ रखने के लिए कूड़े को जो खत्म किया जाता है उसपर दिल्ली निगम चार हजार करोड़ रुपये खर्च करता है कायदे से जनता से इसकी भरपाई के लिए यूजर चार्ज वसूल करना होता है पर कहीं लोग इससे नाराज ना हो जाएं ,कही वोट बैंक खिसक ना जाएं इसके कारण ना पहले बीजेपी ने इसे लोगों से वसूला ना ही अब आम आदमी पार्टी की सरकार इसे वसूल रही है और इसका सीधा असर दिल्ली के स्वच्छता अभियान पर पड़ रहा है। यही नहीं आप के नेता इसके लिए बड़ा अजीब तर्क दे रहे हैं उनका कहना है जुर्माने की बजाय नागरिकों को जागरुक बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके चलते ही दिल्ली में अब भी दिल्ली को गंदा करने वालों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। देते हैं। यही नहीं आम लोगों को घरों में गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग इटठ्ठा करने और फिर उसे आगे देने पर भी , निगम सख्ती नहीं कर रहा है जिससे दिल्ली में कूड़े को सही ढंग से dispose off करने का पालन ही नहीं हो पा रहा है और कूड़े का meance बढ़ता ही जा रहा है। वैसे दिल्ली में मौजूद कूड़े के तीन पहाड़ गाजीपुर, ओखला और भलस्वा लैंडफिल भी दिल्ली की खूबसूरती में दाग बने हैं यहां से आती बदबू, लगातार उड़ने वाली धूल और लगातार आग लगने की घटनाएं दिल्ली की जनता के लिए बड़ी सिरदर्दी है, जाने कब राजनेता इस समस्या को समझेंगे और सुलझाएंगे।

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