MANOJ TIWARI – का कद दिल्ली में इतना कैसे बढ़ गया?
क्या मनोज तिवारी BJP के CM Face होंगे?
तीसरी बार उत्तर पूर्वी दिल्ली लोक सभा सीट से चुनाव जीतने के बाद से मनोज तिवारी का कद दिल्ली भाजपा में अचानक बड़ गया है और राजनीति गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि यदि जल्दी होने वाले दिल्ली के चुनावों में बीजेपी जीतती है तो मनोज तिवारी दिल्ली के मुख्यमंत्री बन सकते हैं
अब उनको प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार के रूप में देखा जाने लगा है। इसके कई कारण हैं जिनमें से एक है इनका एकमात्र पुराना प्रत्याशी होना। याद रहे भाजपा ने दिल्ली के सात उम्मीदवारों में से छह के टिकट काट दिए थे। मनोज तिवारी अकेले ऐसे सांसद थे जिनकी उम्मीदवारी बहाल की गई थी।तिवारी की जीत को इस मायने में भी खास माना जा रहा है कि उन्होंने विपक्ष के तेजतर्रार और युवा नेता कन्हैया कुमार को हराया है। वो अलग बात की इस बार तिवारी की जीत के अंतर में खासी गिरावट आई है।
मनोज तिवारी साल 2014 से लगातार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने जा रहे हैं
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली की उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट पर खूब गहमागहमी रही. कांग्रेस ने युवा और पार्टी का पक्ष धुआंधार तरीके से रखने वाले कन्हैया कुमार को मनोज तिवारी को हराने के लिए आगे किया. कन्हैया सफल नहीं हो पाए. मनोज तिवारी लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए हैं.
भोजपुरी सिनेमा और गायकी के बड़े सितारे मनोज तिवारी साल 2014 से लगातार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने जा रहे हैं. इस बार उन्होंने कांग्रेस के कन्हैया कुमार को हराकर जीत की हैट्रिक लगाई है.
गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा पर कामयाब नहीं हुए
मनोज तिवारी की सबसे अहम पहचान एक भोजपुरी गायक के तौर पर है. उन्होंने गायकी में सफलता हासिल करने के बाद एक्टिंग के क्षेत्र में हाथ आजमाया और वह इस क्षेत्र में भी काफी हद तक सफल रहे. तिवारी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत समाजवादी पार्टी के साथ की था और 2009 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर लोकसभा सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा. पर कामयाब नहीं हुए.
सफल रहा है अब तक का राजनीतिक सफर
तिवारी बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. 2014 लोकसभा चुनाव में उन्हें उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट से पार्टी ने प्रत्याशी बनाया और फिर वह लागातार जीत दर्ज कर रहे हैं. दिल्ली की सियासत में खास पहचान बना चुके मनोज तिवारी एक समय राष्ट्रीय राजधानी में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा बने मगर उनके नेतृत्व में पार्टी हार गई. 2016 में वह दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष भी बने और उनके कार्यकाल में दिल्ली नगर निगम चुनाव में जीत दर्ज की.
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में क्या माहिर हैं मनोज तिवारी
दिल्ली का सबसे ज्यादा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण वाला इलाका है नॉर्थ ईस्ट दिल्ली- नॉर्थ ईस्ट दिल्ली 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों की वजह से पूरी दुनिया में कुख्यात हो गया था. उन दंगों के बाद इस इलाके में धार्मिक ध्रुवीकरण बहुत ज्यादा देखने को मिला. इस लोकसभा क्षेत्र में सीलमपुर, मुस्तफाबाद, बाबरपुर और करावल नगर जैसे क्षेत्र आते हैं जहां मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है. पूरे लोकसभा क्षेत्र में वोटरों के लिहाज से 21 प्रतिशत वोटर मुस्लिम समुदाय से आते हैं. इसलिए संभावना यही थी कि इस बार के चुनाव में भी धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा काफी जोर पकड़ सकता है और वह हुआ भी।
‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का चर्चित गाना “जिया हो बिहार से लोकप्रिय
मनोज तिवारी ने भोजपुरी और हिंदी भाषाओं में 4,000 से अधिक गाने गाए हैं. अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का चर्चित गाना “जिया हो बिहार के लाला” से वह हिंदी फिल्मों में भी लोकप्रिय हो गए. तिवारी भारतीय फिल्म उद्योग के उन 42 हस्तियों में से एक रहे जिन्हें भारतीय सिनेमा के 100 साल पूरे होने के अवसर पर राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया गया. बिग बॉस के सीजन 4, सुर संग्राम सीजन 1 और 2 के जरिये भी मनोज तिवारी को एक अलग पहचान मिली.