Modern technology that makes you beautiful without cosmetic surgery

बिना कास्मैटिक सर्जरी कराये बने खूबसूरत

आजकल कास्मैटिक सर्जरी का बहुत फैशन है लेकिन आज हम आपको ऐसी तकनीक बता रहे हैं जिनकी मदद से सर्जरी के बिना भी खास मशीनों की मदद से शरीर के किसी खास अंग पर जमा फैट को कम किया जा सकता है। चेहरे की त्वचा को जवां लुक दिया जा सकता है, आंखों के आसपास की झुर्रियों को खत्म किया जा सकता है।

सबसे पहले जानते हैं कि चेहरे, बांहों या अन्य जगह जमा कम फैट को निकालने के लिए बिना सर्जरी के कौन से तरीके इस समय डिमांड में हैं। खास बात ये है कि ये प्रोसेजर त्वचा विशेषज्ञ भी अपने क्लीनिक में खास मशीनों की मदद से कर सकते हैं इसके लिए सर्जन या आपरेशन थियेटर की जरूरत नहीं पड़ती है।

थर्मी टाइट ——-thermi tight ——बिना सर्जरी के इस तकनीक में खास मशीन की मदद से गर्म सुई की मदद से फैट सैल को पिघलाया जाता है और फैट सैल यूरीन के जरिए बाहर निकल जाता है। लेकिन इसमे एक समय में चालीस से सौ मिलीलीटर फैट ही निकल पाता है। इसलिए ये प्रोसेजर डबल चिन , गालों और बाजू पर जमा कम फैट निकालने के लि्ए इस्तेमाल होता है। ये एक आपोडी प्रोसस है और बहुत कम समय में हो जाता है। अच्छे डाक्टर इसे करने में बीस से पच्चीस मिनट का समय लेते हैं।

प्रोसेजर के बाद आने वाली समस्याएं

  • मरीज को नमनस का अहसास होता है जो छह से आठ सप्ताह में जाता है
  • सूजन आ सकती है
  • यदि सावधानी नहीं बरती जाए तो कईं बार गर्म नीडल से त्वचा जल सकती है
  • रेयर मामलों में , शरीर में तरल पदाथोॅ के असंतुलन से किडनी और हार्ट में परेशानी हो सकती है

कूलस्कलैपटिंग

कूलस्कलैपटिंग

ये भी बिना सर्जरी के होता है और इसमें सर्जन एक डिवाइस की मदद से स्किन के अंदर की फैट सैल को फ्रीज करके खत्म कर दिया जाता है। एक बार नष्ट होने के बाद फैट सैल को अपने आप लिवर , शरीर के बाहर यूरीन के जरिए निकाल देता है। इसमें एक बार के ट्रीटमेंट में २०-२५ फीसदी फैट सैल खत्म होती हैं। इसका इस्तेमाल भी कम फैट निकालने के लिए किया जाता है।

इनके काॅमन साइड इफेक्ट हैं

  • उस जगह का लाल हो जाना
  • चुभन होना नमनस होना
  • खुजली होना आदि..

किन को नहीं करवानी चाहिए

गर्भवती महिलाएं, दूध पिलाने वाली माताएं, जो महिलाएं गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही हैं, रेयर बीमारियों के शिकार मरीजों को भी ये नहीं करवाना चाहिए, जैसे ज्यादा ठंड होने पर कुछ लोगों में प्रोटीन जमा हो जाता है या कईं लोगों में शरीर का बदला तापमान लाल रक्त कोशिकाओं को मार देता है लेकिन ये बहुत रेयर डिसआर्डर हैं, सिरोसिस बीमारी के शिकार लोगों को भी ये नहीं करवानी चाहिए, हर्निया के रोगियों को भी इससे बचना चाहिए।

फिलर– ये एक बहुत अच्छा प्रोसेजर है। आधुनिक तकनीक के साथ आजकल कईँ ऐसे फिलर उपलब्ध हैं जो स्किन टाइटनिंग, एंटी एजिंग, लकीरें भरने, चेहरे पर दबे किसी भी अंग को उभारने में सक्ष्म हैं। सबसे अहम इसका रिजल्ट कुछ ही मिनटों में आपके सामने आ जाता है।

फिलर

इसमें एक प्रकार के कैमिकल को त्वचा के अंदर इंजेक्शन की मदद से डाला जाता है। इससे होठों को आकार दिया जाता है यानी लिप एनहेंसमेंट के लिए बहुत कारगर है।नाक के आसपास बनी लकीरों को भरने के लिए इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसके अलावा आंखों के नीचे बने गड्डों भरने के लिए फिलर का इस्तेमाल हो रहा है।

नाक यदि थोड़ी बैठी है तो फिलर की मदद से उसे उभारा जा सकता है। यही नहीं आजकल त्वचा को टाइट करने, गालों को उभारने, हाथों को जवां बनाने के लिए भी फिलर का इस्तेमाल हो रहा है। ये भी एक ओपीडी प्रोसेस है, काम के अनुसार डाक्टरों को तीस मिनट से एक घंटे का समय लगता है। इसका असर छह महीने से एक साल तक रहता है।

किन बातों का ध्यान रखें

  • गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाएं इसे ना कराएं
  • तकनीक कराने से कुछ दिनों पहले वैक्सिंग, थ्रेडिंग से बचें
  • डाक्टर आपको कुछ दवाओँ के सेवन और कुछ खाने-पीने की चीजें छोड़ने की सलाह देंगे उसका पालन करें
  • फिलर वाली जगह पर खुजली ना मचाएं
  • कुछ समय तक किसी तरह की मालिश से बचें। कुछ समय तक उस जगह को ज्यादा ना हिलाएं
  • दो दिन तक एक्सरसाइज, स्वीमिंग या किसी भारी काम ये बचें

रिस्क

  • चूंकि इसमें भी कैमिकल त्वचा के अंदर जाता है तो इंफेक्शन का खतरा हो सकता है
  • एलर्जी हो सकती है
  • कईं बार त्वचा के अंदर छोटे-छोटे उभार हो जाते हैं जिनको जाने में समय लग जाता है
  • त्वचा का रंग बदल सकता है जिसको ठीक होने में समय लग सकता है

बोटोक्स —-

ये बहुत ही पोपुलर और डिमांड में आई तकनीक है । बोटोक्स मुख्यत़ आंखों के आसपास आई झुर्रियों को हटाने और माथे पर बन रही लकीरों को रिलेक्स करता है। इसमें आंखों के आसपास बोटोक्स का इंजेक्शन दिया जाता है। बोटोक्स के जरिए मांसपेशियों को रिलेक्स कर दिया जाता है ।इसका असर ज्यादा से ज्यादा एक साल तक रहता है।

करवाने के बाद सावधानियां

  • इंजेक्शन लगवाने के बाद लेटना नहीं चाहिए
  • थोड़ी देर बैठ कर आराम कर सकते हैं
  • तीन -चार दिनों तक उस जगह पर मालिश नहीं करवानी चाहिए
  • तीन दिनों तक धूप या गर्मी से बचें
  • एक या दो दिन तक एक्सरसाइज से बचें
  • इसका अकसर पांच से सात दिनों में दिखना शुरू होता है

रिस्क

  • जहां इंजेक्शन दिया जाता है वहां की मांसपेशियों के कमजोर होने का खतरा रहता है
  • सूजन, खरोंच के निशान, दर्द हो सकता है
  • सिर या गर्दन में दर्द, चक्कर आने की शिकायत हो सकती है

हाईफू—-

ये बिल्कुल नईं तकनीक है इसमें अल्ट्रा साउंड एनर्जी से चेहरे के बीमार और खराब टिशु को खत्म कर दिया जाता है और टूटे-फूटे कोलेजन लेयर की मरमम्त की जाती है। इसे सर्जरी किए बिना की गई कारगर फेस लिफ्ट भी कहा जाता है। ये कईं तरह से चेहरे पर काम करती है। फेस की झुर्रियां हटाती है, चेहरे की त्वचा को टाइट करती है, डबल चिन खत्म करती है, चेहरे पर एंजिंग खत्म करके चेहरे को चमकदार और यंग बनाती है। इसको करने में दो-तीन घंटे का समय लगता है। इसका असर पांच से सात दिन में दिखना शुरू होता है और असर लगभग एक से डेढ साल तक रहता है।

साइड इफेक्ट—-

  • चेहरे पर लालपन आ जाता है
  • खुजली की शिकायत
  • सूजन आ सकती है
  • त्वचा की संवेदनशीलता खत्म हो सकती है लेकिन ये सभी शिकायत चार-पांच दिन में खत्म हो जाती हैं।
  • इसके अलावा स्किन एलर्जी, इंफेक्शन या चेहरे की मांसपेशियों पर असर कुछ इससे जुड़े रिस्क भी हैं।

ये बात भी समझनी जरूरी है कि कब आपको सर्जरी और कब प्रोसेजर की जरूरत होती है। इसके लिए एक अच्छे डाक्टर की सलाह लें। तमाम प्रोसेजर बिना सर्जरी, बिना दर्द, बिना खून बहाए, कम समय में आपको यंग लुक देते हैं,बाँडी को शेप देने के भी काम आते हैं लेकिन इनका असर कम समय के लिए रहता है।

समस्या ज्यादा है, उम्र बढ़ी है तो आप सर्जरी का सहारा ले सकते हैं जिसका असर छह-सात साल तक रहता है।

अकसर महिलाएं पेट, बाजू, जांघों में जमा अतिरिक्त फैट को कम करने के तमाम कोशिश करती हैं पर सफलता नहीं मिलती ऐसे में मेडिकल साइंस की आधुनिक तकनीक .लाइपोसेक्शन बहुत कारगर मानी जा रही हैं।

क्या हैं ये सर्जरी , इसमें शरीर के किसी अंग में जमा अतिरिक्त फैट को कम करने के लिए ये सर्जरी करवाई जाती है। एक बात बहुत स्पष्ट है कि ये सर्जरी मोटापा कम करने के लिए नहीं बल्कि पेट, बाजू, जांधों , हिप्स पर जमा अतिरिक्त फैट को कम करने के लिए की जाती है। इसके लिए फिट वही लडकिया हैं जिनका वजन ठीक है लेकिन शरीर के किसी खास अंग में फैट जमा होने से वो अंग थुलथुल दिखता है। कईं लड़कों में अतिरिक्त ब्रेस्ट ग्रोथ को कम करने के लिए भी ये सर्जरी की जाती है।

सर्जरी से पहले—जो लोग एस्प्रिन की गोली और एंटी इनपलेमेंटरी दवा लेते हैं, दो या तीन स्पातह के लिए बंद की जाती है। महिलाओं को गर्भनिरोधक दवा न लेने की सलाह दी जाती है। एनीमिया के मामलो में आयरन लेने को कहा जाता है।

कई तरह से की जाती है सर्जरी ——वेसर तकनीक बिल्कुल नई है। इसमें अल्ट्रासोनिक की मदद से फैट को पहले पिघलाया जाता है और फिर फैट सैल को आसानी से छोटे-छोटे छेदों करके बाहर निकाल लिया जाता हैं। इसमें कम ब्लीडिंग होने का खतरा रहता है और त्वचा ज्यादा सिकुड़ती नहीं है।

पेट, जांघ, हिप्स पर जमे फैट के लिए ये बेहतर सर्जरी है क्योकि इसमें एक बार में ही चार से पांच लीटर फैट निकाल लिया जाता है। एक बात जो ध्यान देने वाली है। गाइडलाइंस के मुताबिक एक बार में चार से पांच लीटर ही फैट सैल निकलना चाहिए ज्यादा निकालने पर ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। जरूरी है तो कुछ महीने बाद ये सर्जरी दोबारा करवा लेनी चाहिए।

यदि तवचा का लचीलापन बहुत ज्यादा है , मरीज सर्जरी के बाद पूरी एतिहायत बरतता है तो थोड़े समय बाद त्वचा सामान्य आकार में आ जाती है। सर्जरी के बाद पेट में किए गए छोटे-छोटे छेदों में से कुछ समय तक तरल पदार्थ आता है उससे घबराना नहीं चाहिए। कुछ दिनों के लिए सूजन होती है। आपको खास तरह के टाइट कपड़ें पहनने को दिए जाते हैं जिससे लटकी हुई त्वचा सामान्य हो जाए।

यहां से समझना भी जरूरी है कि यदि फैट सैल निकलने के बाद शरीर की त्वचा बहुत ज्यादा लटक जाती है तो साथ में एक और प्रोसेजर करवाना भी जरूरी होता है । जैसे यदि पेट पर बहुत ज्यादा फैट जमा है और फैट सैल निकालने के बाद त्वचा बहुत ज्यादा लटक जाती है तो यहां पर टमी टक किया जाता है , मतलब अतिरिक्त त्वचा को खींच कर टक किया जाता है और वो त्वचा काट दी जाती है।

इसी प्रकार बटक, थाई, बाहों पर यदि ज्यादा फैट निकल गया है तो वहां की भी त्वचा लिफ्ट की जाती है। सर्जरी के दो-तीन सप्ताह बाद आपको सामान्य काम करने के लिए कह दिया जाता है। इस दौरान मरीज को खास तरह के प्रेशन गारमेंट पहनने पड़ते हैं। जिससे त्वचा लटकने का खतरा खत्म हो जाता है।सर्जरी के बाद एंटीबायोटिक दी जाती है।पेन किलर दवाएं दर्द और सूजन के लिए दी जाती हैं। त्वचा के स्टीचिस थोडे़ दिन बाद हटाए जाते हैं।

सर्जरी के बाद की सावधानियां

  • कम से कम एक दिन कार ना चलाएं
  • चार-पांच दिनों तक एक्सरसाइज से बचें
  • डाक्टर की सलाह पर ही एक्सरसाइज शुरू करें
  • खूब पानी पिएं जिससे शरीर में फैट सैल निकलने के बाद पानी की कमी ना हो
  • डाक्टरों की सलाह के अनुसार तीन से सात दिन तक प्रेशन गारमेंट्स जरूर पहनें

लाइपोसेक्शन के रिस्क हैं

  • सर्जरी वाली जगह पर गंभीर खरोच हो सकती है जो कई सप्ताह में जाती है।
  • सूजन जाने में ६ सप्ताह का समय लग सकता है।
  • नसों में ब्लड का थक्का जम सकता है जिससे कई परेशानियां हो सकती है।
  • त्वचा लटक सकती है, ब्लीडिंग हो जाती है
  • कईं बार सूजन देर तक नहीं जाती, निशान रह जाते हैं
  • त्वचा का रंग बदल सकता है
  • लेकिन यदि आप एक कुशल सर्जन से सर्जरी करवा रहें हैं तो सर्जरी के रिस्क बहुत कम हो जाते हैं।

स्वेट गलैंड रिमूवल—sweat gland removal—-जिन लोगों को बहुत ज्यादा पसीना आता है, उसमें बहुत बदबू आती है, इंफेक्शन रहता है, ऐसे में सर्जन सर्जरी को जरिए मरीज की स्वेट गलैंड ही निकाल देते हैं। लेकिन ये सर्जरी बहुत कम की जाती है। आजकल बोटोक्स के जरिए पसीने की समस्या को काफी कम किया जाता है। लेकिन ये बहुत ही कम लोग करवा रहे हैं और पोपुलर नहीं है।

कोई भी काॅस्मैटिक सर्जरी करवाने से पहले किन बातों का ध्यान रखे

  • सर्जरी होने से कम से कम एक सप्ताह पहले हेल्दी डाइट का सेवन जरूर करें इससे इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है और घाव जल्द से जल्द भरता है
  • फल-सब्जियां, अनाज के साथ प्रोटीन युक्त भोजन करें
  • कईं बार डाक्टर पोषक स्प्लीमेंट के सेवन की भी सलाह देते हैं, जिसमें विटामिन सी और विटामिन ए खासतौर पर दिया जाता है।
  • बहुत बेहतर होगा कि सर्जरी से कम से कम दो सप्ताह पहले स्मोकिंग और शराब का सेवन छोड़ दें
  • शराब से लिवर की पाचन करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। स्मोक से ब्लड फ्लो पर असर होता है और हीलिंग देर से होती है और इंफेक्शन फैलने का खतरा रहता है।

जो लोग होम्योपैथी की दवा या किसी हर्ब का प्रयोग कर रहे हैं उन्हें अपने डाक्टर को इसे बारे में जानकारी देनी चाहिए,कई बार ये चीजें एनसथीसिया में रूकावट डालती हैं
जो लोग एस्प्रिन की गोली और एंटी इनपलेमेंटरी दवा लेते हैं, दो या तीन सप्ताह के लिए बंद की जाती हैं।
महिलाओं को गर्भनिरोधक दवा न लेने की सलाह दी जाती है।गर्भवती और दूध पिलाने वाली मदर सर्जरी ना कराएं

सर्जन कौन से केस सर्जरी के लिए बिल्कुल फिट नहीं मानते और उनकी काउंसलिंग करके उन्हें मना कर दिया जाता है।

बाँडी डिसमोर्फिक डिस्आर्डर -body dysmorphic disorder

सर्जरी करवाने पहुंचे दस से पंद्रह फीसदी यंग लोग , कई बार बड़ी उम्र की महिलाएं-पुरूष बाँडी डिसमोर्फिक डिस्आर्डर से पीड़ित होते हैं। इसमें मरीज के सारे अंग बिल्कुल ठीक होते हैं लेकिन वो अपनी कल्पनाओं में इमेज बनाना शुरू कर देते हैं कि उनके शरीर का कोई अंग ठीक नहीं है।

जैसे कि वो सोचते हैं कि उनकी नाक बहुत लंबी है या ब्रेस्ट का साइज छोटा है, जबकि वास्तविकता में ऐसा होता नहीं है। सर्जरी से पहले की जाने वाली महत्वपूर्ण काउंसलिंग में डाक्टर्स को मरीज की इस बीमारी के बारे में पता चल जाता है और वो उन्हें समझाबुझाकर वापस भेजते हैं।

मेडिकल फिटनेस जरूरी है

डाक्टरों का सीधा मानना है कि काँस्मैटिक सर्जरी के लिए मेडिकली तौर पर बिल्कुल फिट होना चाहिए। यदि किसी का दिल कमजोर है, दिल की कोई भी सर्जरी हो चुकी है, बीपी हमेशा हाई रहता है, अनियंत्रित शुगर है, थैलेसीमिया के मरीज हैं, ब्लीडिंग की समस्या है, एनीमिया से पीड़ित हैं या कोई अन्य गंभीर बीमारी है तो ऐसे मरीजों को सर्जरी के लिए या तो मना कर दिया जाता है या फिर जबतक वो बिल्कुल फिट नहीं होते है और संबंधित डाक्टर उन्हे क्लीन चिट नहीं देता , उनकी सर्जरी नहीं की जाती है।

सभी सर्जरी से जुड़ें काँमन रिस्क

हर सर्जरी की तरह काँस्मैटिक सर्जरी चाहे नाक की हो, फैट निकालने के लिए या जवां बने रहने के लिए। हर सर्जरी से जुडे़ कुछ काँमन रिस्क होते हैं जो आपको जरूर पता होना चाहिए। जैसे की एनसथीसिया का साइड इफेक्ट हो जाना, ज्यादा ब्लीडिंग होना , इंफेक्शन फैल जाना, सर्जरी वाली जगह पर निशान रह जाना, त्वचा संवेदनशील हो जाना, काफी दिनों तक सूजन रहना, त्वचा का नमनस हो जाना और सबसे गंभीर सर्जरी का फेल हो जाना।

लेकिन ये सब पढ़ कर घबराने की जरूरत नहीं है ये किसी भी सर्जरी में हो सकता है , आप बस अपनी तरफ से सावधानी बरतें , हर पहलू पर गौर करने के बाद अपना पूरा होमवर्क करें, नेट से ज्यादा से ज्यादा जानकारी लें और एक अच्छे सर्जन का चुनाव करें। ये बात समझना बहुत जरूरी है कुशल हाथ और एडवांस तकनीक के साथ हुई सर्जरी रिस्क को बहुत कम या बिल्कुल ही खत्म कर देती है।

.यह बात भी समझना बहुत जरूरी है कि काॅस्मैटिक सर्जरी कोई चमत्कार नहीं है और इससे किसी भी चमत्कार की उम्मीद ना करें। ये मत समझें की आपको नाक प्रियंका चोपड़ा जैसी हो जाएगी या आपके होठों का उभार एंजलीना जाॅली जैसा।

काउंसलिंग में सर्जन आपको बता देते हैं कि आपके अंगों का आकार किस हद तक अच्छा हो सकता है, सर्जरी आपको कितना जवां बना सकती है। इसलिए सर्जरी को लेकर हमेशा रियालिटी को फेस करें। इससे किसी भी तरह के चमत्कार की उम्मीद ना करें।

नकली सामान से सावधान

हमेशा कोई भी प्रोसजर करवाने के लिए अच्छे डाक्टर का चयन करें। नेट पर प्रोसेजर से जुड़ी तमाम जानकारी और डाक्टर का भी रिव्यू पढ़ें। प्रोसेजर की कीमत के बारे में जरूर जानकारी लें। कोई आपको काफी कम कीमत में महंगा प्रोसेजर करवाने का आँफर दे रहा है तो सावधान हो जाएं।

आजकल चाइनीज चीजों का बहुत बोलबाला है जो घटिया हैं और इनमें रिस्क बहुत ज्यादा है।प्रोसेजर करवाने से पहले जान लें कि डाक्टर कौन सी तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है और इस्तेमाल किए जाने वाला तमाम सामान संबंधित सरकारी एजेंसियों से पास किया गया हो।

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