हाल ही में जब TMC के कद्दावर नेता अभिषेक बनर्जी को विदेश में पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त बोलते सुना तो हर कोई हैरान हो गया कि अभिषेक विदेश में क्या कर रहे हैं और अचानक पाकिस्तान पर कैसे इतना गुस्सा आ गया, पर फिर पता चला कि अभिषेक बनर्जी भी उसी डेलीगेशन का हिस्सा हैं जो मोदी सरकार की ओर से पाकिस्तान आतंकवाद के बारे में विश्व को सचेत करने के लिए अलग अलग देशों में भेजा गया है, इससे और भी ज्यादा चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि क्या अभिषेक ममता दीदी से बगावत करके इस डेलीगेशऩ का हिस्सा बन गए या फिर मोदी ने ही कोई बड़ा खेला कर दिया जो ममता को झुकना पड़ गया, क्योंकि इससे पहले tmc ने साफ तौर पर इस डेलीगेशन का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया था, tmc सांसद यूसूफ पठान को इसमें भेजा जा रहा था पर उऩ्होंने साफ कह दिया था कि विदेश मामले केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है हम क्या करेंगे, अब जाहिर है यह बोल यूनूस पठान के तो नहीं हो सकते , tmc सुप्रीमो ममता बनर्जी ने ही इस डेलीगेशन से अलग रहने का निर्णय लिया होगा और पार्टी लाइन पर ही यूसूफ पठान बोल गए। पर अचानक क्या हो गया कि ममता बनर्जी के भतीजे और tmc के कद्दावर नेता बिदेश पहुंच भी गए और पाकिस्तान को जमकर सुना भी दिया। वैसे यह बात किसी से छुपी भी नहीं है कि कईं मुद्दों पर अभिषेक और ममता दीदी में तकरार सामने आया है, अब सस्पेंस यही बना है कि क्या अभिषेक ममता को साइड करके अपने आप इस डेलीगेशन का हिस्सा बने या फिर मोदी ने देश सुरक्षा के नाम पर ऐसा चक्रब्यूह रच दिया कि ममता को झुकना पड़ गया। पर जो भी हो देश हित के लिए यह बहुत ही अचछा कदम है।

दोस्ती महंगी पड़ी MODI से पर दोस्त ने दोस्ती निभाई

माना यही जाता है कि मोदी अपने पार्टी के नेताओं की चिंता तो करते ही हैं, उनके सुख दुख में पूरा हालचाल लेते हैं लेकिन विपक्ष के नेताओं के साथ भी अपनी पुरानी दोस्ती याद रखते हैं और उनका पूरा ख्याल रखते हैं, ऐसा ही हुआ जब डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद जो पहले कांगेस के कद्दावर नेता रह चुके हैं , उन्हें तबीयत खराब होने की वजह से कुवैत के एक अस्पताल में भर्ती होना पड़ गया, आपको बता दें कि आजाद उसी डेलीगेशन का हिस्सा हैं जो मोदी सरकार की ओर से विश्व के अनेक देशों में भारत का आतंकवाद विरोधी संदेश पहुंचाने के लिए भेजा गया है। आजाद कुवैत तो पहुंच गए पर वहां पहुंचते ही बीमार होने के कारण उन्हे आनन फानन में अस्पताल भर्ती कराना पड़ा , मोदी को जैसे ही इसकी खबर मिली उन्होंने तुरंत गुलाम नबी आजाद से फोन पर बात की और उन्हें जल्दी ठीक होने का संदेश भी दिया। मोदी अपनी दोस्ती निभाने में पक्के हैं और उन्होंने आजाद के साथ निभाई भी। वैसे कम ही लोग ये जानते होंगे कि मोदी जब गुजरात के मुखयमंत्री थे तभी से गुलाम नबी आ

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