MODI ने क्यों भरोसा किया झारखंड़ जीतने के लिए इस ईमानदार नेता पर
अपने दिग्गज आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को पार्टी का प्रमुख चेहरा बनाया है
झारखंड चुनाव प्रचार प्रसार बहुत जोर शोर से चल रहा है, बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है , इस राज्य की सत्ता हासिस करने के लिेए । इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी से लेकर आसम के मुख्यमंत्री, हिमंता बिस्वाशर्मा, शिवराज चौहान से लेकर बीजेपी के तमाम बड़े चेहरे झारखंड में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच भाजपा ने चुनावों में अपने दिग्गज आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को पार्टी का प्रमुख चेहरा बनाया है , ताकि बहुसंख्यक संथाल आदिवासी समुदाय का समर्थन दोबारा हासिल किया जा सके जो पहले लोक सभा चुनाव में बीजेपी को दगा दे चुके हैं।
संथाल आदिवासी समुदाय से आते हैं – आदिवासी समाज में अच्छी-खासी पकड़ है
माना जा रहा है कि भाजपा ने तीन प्रमुख कारणों की वजह से झारखंड की कमान बाबूलाल मरांडी को सौंपी है। पहली वजह यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में बीजेपी महज दो एसटी सीटों पर जीत दर्ज कर सकी थी। दूसरी, विधान सभा चुनावों की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड सहित कई राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है। भाजपा ने संथाल परगना के सभी 18 सीटों पर जीत का लक्ष्य तय किया है और वहां अधिकांश सीटें आरक्षित हैं। बाबूलाल मरांडी संथाल आदिवासी समुदाय से आते हैं और आदिवासी समाज में उनकी अच्छी-खासी पकड़ है।भाजपा काफी समय पहले से ही आदिवासी समुदाय को अपने पाले में करने की कवायद में जुटी है। एनडीए का राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रहीं द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाना इसकी शुरूआत थी।द्रौपदी मुर्मू भी संथाल आदिवासी समाज से आती हैं जिनकी संख्या झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में काफी ज्यादा है। वहीं, पिछले वर्ष बीजेपी ने राष्ट्रीय आदिवासी महासभा का आयोजन किया गया था। इसी साल गृहमंत्री अमित शाह ने चाईबासा के साथ-साथ दुमका का भी दौरा किया था। वहीं, हाल ही में राजस्थान की पूर्व सीएम और कद्दावर बीजेपी नेता वसुंधरा राजे ने देवघर और दुमका में जनसभा की थी।
बाबूलाल मरांडी के दामन का psk साफ होना बड़ी वजह
तीसरी वजह है भ्रष्टाचार के मामले में बाबूलाल मरांडी के दामन का psk साफ होना। याद रहे कि पिछले 1 साल में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार पर भ्रष्टाचार के जितने भी आरोप लगे या जो भी खुलासे हुए, उसे लेकर सार्वजनिक मंच पर सबसे ज्यादा बाबूलाल मरांडी ही मुखर रहे हैं। चाहे वो पूजा सिंघल से जुड़ा मनरेगा घोटाला केस हो, साहिबगंज में हुए 1000 करोड़ रुपये का खनन घोटाला हो या रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन से जुड़ा जमीन घोटाला, बाबूलाल मरांडी हेमंत सोरेन सरकार पर लगातार हमलावर रहे और इस वजह से सरकार असहज स्थिति में रही।झारखंड बीजेपी में फेरबदल की चर्चा काफी लंबे समय से थी और कहा जा रहा था कि इस बार किसी आदिवासी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके लिए बाबूलाल मरांडी ही सबसे उपयुक्त चेहरा थे। वैसे भी जब फरवरी 2020 में बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी में वापसी की थी तो कहा जा रहा था कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी।
17 वर्षों से वह किसी भी सरकार का हिस्सा नहीं रहे हैं
बतौर झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री, आज भी उनके कार्यों की सराहना होती है। चूंकि पिछले 17 वर्षों से वह किसी भी सरकार का हिस्सा नहीं रहे हैं इसलिए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता अथवा प्रशासनिक अक्षमता जैसे आरोप नहीं हैं।बाबूलाल मरांडी की पहचान केवल आदिवासी नेता के तौर पर नहीं है बल्कि गैर आदिवासी जनता में भी उनकी अच्छी-खासी स्वीकार्यता है।बाबूलाल झारखंड से 12वीं, 13वीं 14वीं और 15वीं लोकसभा में सांसद रहे। वे 1998 से 2000 तक भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में भारत के वन और पर्यावरण के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री थे। उन्हें 4 जुलाई 2023 को झारखंड भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
1991 में भाजपा के महामंत्री गोविन्दाचार्य ने मरांडी को भाजपा में शामिल कराया
ग्यारह जनवरी 1958 को जन्मे बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और वर्तमान में झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। वह झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। वह 12वीं, 13वीं, 14वीं और 15वीं लोकसभा में मरांडी से सांसद भी रहे। वह 1998 से 2000 में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री थे। 1991 में भाजपा के महामंत्री गोविन्दाचार्य ने मरांडी को भाजपा में शामिल कराया था। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।