BJP का पूरा फोकस अध्यक्ष और मंत्रिमंडल में फेरबदल पर

 

सूचनाएं आ रही हैं कि हफ्ते – 10 दिन के अंदर भारतीय जनता पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की नाम की घोषणा कर सकती है, लंबी चर्चा हो चुकी है अध्यक्ष को लेकर, बहुत नाम भी सामने आए हैं और चर्चा गर्म है कि अध्यक्ष के चुनाव के बाद सरकार में बदलाव की बड़ी संभावनाएं हैं। अभी तक एक बड़ी परेशानी सरकार के समक्ष थी वो वक्फ बिल को लेकर थी , और अब सरकार वो पास कराने में कामयाब हो गई । और अब पूरा फोकस अध्यक्ष और मंत्रिमंडल में फेरबदल पर टिक गया है।

 

बहुत सारी चीजों पर PM Modi लेंगे कठोर निर्णय

सरकार के गठन की बात करें तो जब 2024 में सरकार का गठन हुआ था उसमें लगभग पूरा का पूरा पिछला मंत्रिमंडल था उसे रिपीट किया गया। बहुत ज्यादा फेरबदल नहीं हुए, कुछ अलायंस के तौर पर जरूर फेरबदल हुए वहां पर थोड़ा सरकार दबाव में दिखी अन्यथा फेरबदल नहीं हुए शिवसेना के पास कोई जो शिवसेना एकनाथ शिंद है उनका कोई मंत्री भी नहीं है केंद्रीय मंत्रिमंडल में तो बहुत सारी चीजों पर प्रधानमंत्री निर्णय ले सकते हैं जो शायद चुनाव के बाद क्योंकि उनकी सीट 303 से घट के 240 पर आ गई थी तो दिखने देखने में तो ऐसा नहीं लग रहा था कि प्रधानमंत्री या भारतीय जनता पार्टी दबाव में दिख रही थी लेकिन वो दबाव निश्चित तौर पर था और उस समय बहुत ज्यादा सरकार या प्रधानमंत्री या भारतीय जनता पार्टी कुछ ऐसा कर पाने की स्थिति में या करना नहीं चाहती थी जिससे कि यह लगे कि कोई दबाव वाली स्थिति है वो एक मैसेज देने की कोशिश कर रहे थे कि सब कुछ सामान्य ढंग से चल रहा है और भारतीय जनता पार्टी के पास पूरी मेजॉरिटी है लेकिन अब बहुत सारे मंत्रिमंडल में बदलाव की संभावनाएं हैं इस तरह की बातें आ रही हैं।

 

परफॉर्मेंस नहीं देने वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता

कुछ नए चेहरे लाए जा सकते हैं , कुछ लोग नए नाम जोड़े जा सकते हैं कुछ लोगों पर जिन पर बहुत ज्यादा दबाव है बहुत ज्यादा बर्डन है उनको थोड़ा थोड़ा उनका बोझ कम किया जा सकता है जैसे आई एनबी मिनिस्ट्री रेलवे मिनिस्ट्री और एक और मंत्रालय तीन मंत्रालय के साथ अश्विनी वैष्णव काफी दबाव में है जिसके कारण सामान्य परसेप्शन ये बना हुआ है कि इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री जो है वो जिस तरह से चीजों को करना चाहिए वो नहीं कर पाती इसी तरह से और भी कई सारे मंत्रालय हैं कुछ नए लोगों को अकोमोडेट किया जाना है हो सकता है कुछ लोगों को सरकार से संगठन में भेजा जाए जिनका परफॉर्मेंस 11 महीने कहिए या 10 महीने, मतलब 10 -11 महीने में जिनका भी परफॉर्मेंस प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से अप टू द मार्क नहीं है प्रधानमंत्री को लगता है कि उनका जो मंत्रालय का कामकाज है वह संतोषजनक नहीं है उनको बदला जा सकता है और कुछ नए लोगों को भी लाया जा सकता है उसमें निश्चित तौर पर कुछ संगठन से कुछ लोगों को ले आए जाने की संभावना बताई जा रही है । ये ऐसे बदलाव नजर आएंगे जैसे ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा। अब बहुत सारे ऐसे चुनाव हैं जो आने हैं जैसे तमिलनाडु का चुनाव आना है बिहार का चुनाव आना है केरल का चुनाव आना है और तो उसी हिसाब से संगठन भी काम करेगा, उसी हिसाब से संगठन और मंत्रिमंडल दोनों में अकोमोडेट किया जाएगा जैसे केरल से एक मंत्री को लिया गया है तमिलनाडु उस दृष्टि से अभी कहने के लिए तो दो तमिल नेता मंत्री हैं लेकिन वो रिप्रेजेंट तमिलनाडु को नहीं करते हैं तो वैसे ही बहुत सारे और बदलाव की संभावना है और प्रधानमंत्री एक-एक मंत्रालय का निरीक्षण एक-एक मतलब एक-एक मंत्रालय के कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं और उस समीक्षा के बाद यह निर्णय होगा कि वो किस तरह से क्या फैसला उस पर लिया जाएगा क्या नहीं लिया जाएगा तो अब जो अध्यक्ष पद का चुनाव के बाद अध्यक्ष की सहमति से मतलब अध्यक्ष के साथ एक चर्चा होगी उसमें दोनों चीजें फाइनललाइज होंगी चाहे वो अध्यक्ष का चाहे वो संगठन के लोगों का हो चाहे वो मंत्रिमंडल के लोगों का हो ।

कुछ नेताओं को संगठन भेजने की तैयारी

जिस तरह की सूचनाएं आ रही हैं कि कुछ बड़े नेताओं के मंत्री पद भी काटे जा सकते हैं ,कुछ बड़े नेताओं के पद जा सकते हैं और कुछ लोगों को संगठन में भेजा जा सकता है जैसे प्रकाश जावड़ेकर के पास तीन मंत्रालय थे उनके तीनों मंत्रालय लेकर के उनको संगठन का काम दिया गया है केरल का प्रभार है उनके पास और केरल वो आते जाते रहते हैं इसी तरह से बहुत सारे ऐसे वरिष्ठ नेता हैं जो या तो रिटायरमेंट के वर्ज पर मतलब जो भाजपा का जो अपना आंतरिक ढांचा है उस हिसाब से रिटायरमेंट के आसपास होंगे उनको संगठन में भेजा जाएगा और ऐसे लोग जो परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं उन लोगों को भी संगठन में भेजा जाएगा और संगठन के कुछ ऐसे लोगों को जो उसमें कास्ट का बैलेंस देखा जाएगा रीजन का बैलेंस देखा जाएगा इन सारे चीजों को वो दृष्टिगत कर करते हुए बदलाव किया जाएगा दलित नेता या दलित नेताओं को प्राथमिकता मिल सकती है वो एक बड़ा फैक्टर हो सकता है । यहां तक कि महिला मुख्यमंत्री अब दिल्ली की बन गई है इसलिए निश्चित तौर पर महिलाओं को भी प्राथमिकता होगी संगठन में । लेकिन जो बड़े-बड़े मंत्रालय हैं, जो लंबे समय से एक ही नेता के पास हैं और वह परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं उस पर निश्चित तौर पर प्रभाव पड़ेगा ।

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