NDA में घमासान क्या बदलेगा बिहार परिणाम

मोदी की सरकार बनी थी तो सबसे पहले यही चर्चा शुरू हुई थी कि सरकार चलाने, कईं मुद्दों पर निर्णय लेने में समस्या तो आएगी ही, और जो सोचा था , वही सामने आ गया , जी हां जहां बिहार में चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण पर तमाम विवादों को धता बताते हुए बीजेपी इसे करवा रही है क्योंकि नीतीश बाबू भी इसके समर्थन में हैं, पर मोदी सरकार के एक और बडे पाटनर चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने मतदाता सूची पुनरीक्षण पर मोदी सरकार को घेर लिया और सरकार के लिए एक बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है, जी हां टीडीपी ने साफ कह दिया कि आंध्र प्रदेश में विशेष पुनरीक्षण के लिए ज्यादा समय चाहिए क्योंकि इसे चुनाव के छह महीने के भीतर नहीं कराया जाना चाहिए और इसे एसआईआर यानी नागरिकता सत्यापन से अलग रखा जाए। बस चंद्रबाबू के इस स्टैंड से बीजेपी में घमासान शुरू हो गया है क्योंकि पहले से ही RJD, Congress समेत तमाम विपक्षी दल बिहार में होने वाली इस प्रकिया के खिलाफ हैं और अब एनडीए के एक प्रमुख सहयोगी दल ने इसके खिलाफ बिगुल बजा दिया बस विपक्ष तो बिहार चुनाव में बैठेबिठाए एक मुद्दा मिल गया और अब वह जनता को यही बताएंगे कि खुद NDA के अंदर ही मतदाता सूची पुनरीक्षण पर मतभेद है, इससे जाहिर है कि बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। अब देखना यही है कि इस मुद्दे पर TDP और बीजेपी के बीच क्या कोई बड़ा मतभेद सामने आता है ।

इन दलों ने उड़ा दी NDA और कांग्रेस-RJD की नींद

 

बिहार में विधानसभा चुनाव की जबरदस्त तैयारियां चल रही हैं और रोज कुछ ना कुछ ऐसी खबरें आ जाती हैं जो चुनाव सरगर्मियों को और ज्यादा दिलचस्प बना देती हैं, और अब चर्चाओं का बाजार गर्म हैं कि कौन से वो दो दल हैं जिन्होंने केवल NDA यानी बीजेपी, नीतीश, चिराग की नींदे उड़ा दी बल्कि लालू और काग्रेस को भी परेशानी में ला खड़ा किया है क्योंकि ये दोनों ही दल इन पार्टियों के वोट काटने का बड़ा काम कर सकते हैं, पहले बात करते हैं महागठबंधन और NDA की टेंशन बढ़ाने वाली आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी ने बिहार में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया अब जाहिर सी बात है इनके मैदान में उतरने से एक तरफ दलित नेता चिराग पासवान और दूसरी तरफ कांग्रेस का खेल बिगड़ेगा । दलित वोटर्स का लुभाने यहां पर बाकायदा दलित अल्पसंख्यक एकता सम्मेलन का भी आयोजित किया गया जहां प्रदेश अध्यक्ष जौहर प्रसाद ने खुलेतौर पर बिहार के दो ताकतवर गठबंझन यानी एनडीए और महागठबंधन को दलित-और अल्पसंख्यक विरोधी बताया और उन्हें चुनाव में हराने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए और महागठबंधन आपसे वोट तो मांगेगे पर प्रतिनिधित्व नहीं देंगे। अब देखना यही है कि ये दल कितने फीसदी दलितों को अपने पाले में कर पाते हैं , दूसरी पहले से ही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने बिहार में पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने का ऐलान करके कांग्रेस और लालू को परेशान कर दिया है, औवेसी नाराज भी हैं क्योंकि उनको महागठबंधन में शामिल करने के प्रस्ताव को कांग्रेस – RJD ने बुरी तरह से ठुकरा दिया। और अब यही ओवैसी पूरे जोर शोर से मुसिलम वोटर्स को लुभाने का पूरा काम कर रहे हैं, एक नारा दे रहे हैं यादव से ज्यादा वोटर्स हैं हम फिर हमारा नेता क्यों नहीं सबको पता है कि बिहार के सीमांचल पर औवेसी की अच्छी पकड़ है, देखना यही है कि क्या ये दल बिहार की राजनीती में कुछ उठापठक करने में सफल हो पाते हैं या नहीं ।

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