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Phone कैसे बना बड़ा कारण बच्चों के Balance बिगाड़ने का

 

आजकल बच्चों को जब कुछ कहो तो कहते हैं जी , ऐसा लगता है सुनाई कम दे रहा है उनको और ये है फैक्ट है । कान के अंदर लगातार इयर फोन लगा कर लाउड म्यूजिक सुनने , साथ ही मोबाइल पर घंटों इयर फोन बड्स लगाकर बात करने से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां बच्चों की कम उम्र में सुनने की क्षमता कम हो रही है, यह कहना है पूर्व राष्ट्रपति के मेडिकल सलाहकार और गंगाराम अस्पताल में सीनियर इंटरनल मेडिसन डा एम वलि का। डा वलि के अनुसार जब हम हाई फ्रीक्वेंसी हाई वॉल्यूम पर कान को ट्रेन करते हैं तो हमारी सुनने की जो क्षमता है एफिशिएंसी है वो कम हो जाती है और ये बच्चों को पता नहीं लग रहा है ग्रेजुअली ये बहुत ज्यादा म्यूजिक सुनने से या बहुत ज्यादा फोन का यूज करने से तो ये हो रहा है और ये बच्चों को आगे चल के डेफनेस की तरफ ले जा रहा है। एक फ्रीक्वेंसी होती है जिससे कान के पर्दे पर बहुत असर पड़ता है। उससे नर्व्स पे असर पड़ता है। उससे ब्रेन पर असर पड़ता है। तो इसको अगर हम यह कहें कि पार्शियल डेफनेस की ओर हमारे बच्चे जा रहे हैं तो इसमें गलती नहीं होगी।

Screen Time की तरह कान में फोन लगाने की भी है limit

 

डा वलि का कहना है कि यह जरूरी है कि बच्चों को बताया जाए कि जिस तरह स्क्रीन टाइम की लिमिट है 150 घंटा । इसी तरह कान में फोन लगा के सुनने की भी लिमिट है। कुछ लोग कहते हैं ये जो कान में लगाने का तार होता है इससे सुन लो। अच्छी कंपनी का ले लो। जैसे अच्छी कंपनी का है तो इससे थोड़ा कम तो होता है वेव्स का ट्रांसमिशन लेकिन इसके अंदर से भी वेव्स निकलती है तो वो तो जाती है बगैर वेव्स के तो हियरिंग नहीं होती तो कान की नसें कमजोर होने के के काफी केस सामने आ रहे हैं। बहुत से लोगों को प्रीमेच्योर हियरिंग लॉस हो रहा है। पहले हम इसको सिनाइल एयर लॉस कहते थे। इसका नाम भी होता था प्रेस बाय एक्यूसिस।

Phone से कम हो रही है बच्चों की Concertation

साथ ही अब यंग बच्चों में लो हियरिंग के साथ कंसंट्रेशन की कमी और बैलेंसिंग की भी कमी देखी जा रही है, बच्चे ना सीधे चल पाते हैं ना बैठ पाते हैं क्योंकि कान हमारे शरीर को बैलेंस करने का भी काम करते हैं इसलिए की नसों में कमी बैलेंस को भी इफेक्ट करती है पर ज्यादातर लोगों को इसका पता ही नहीं रहता कि उनके बच्चे का पाश्चर सीधा क्यों नहीं है। ईयर का एक काम सुनना है दूसराकाम बैलेंसिंग है तो आजकल 10 बच्चों को कि सीधा खड़ा रहने को बोलों तो 10 में से तीन बच्चे ऐसे होंगे जो सीधे नहीं खड़े हो पाएंगे स्ट्रेट अटेंशन तो उनके बॉडी के मसल्स पर भी इफेक्ट हो रहा है बैलेंसिंग पे हो रहा है वॉक पर हो रहा।

Phone कैसे बच्चों को बना रहा दुर्घटना का शिकार

और सबसे ज्यादा खतरा इसमें एक्सीडेंट्स का भी बढ़ गया है कि बच्चे एयरपोर्ट्स लगा के सड़क पे चल रहे हैं, वॉक कर रहे हैं तो पीछे से अगर कोई कार आ रही है तो नहीं सुन पाते। तो ये एक बड़ी एक सावधानी की जरूरत है। इसका समाधान यही है कि कम से कम कान में एयर प्लग्स एयर के जो आईपड्स होते हैं उनकायूज़ किया जाए और सोते समय फोन को बेडरूम में नहीं रखा जाए। यह भी सोते समय भी जो रेडिएशन होता है फोन का वो भी नुकसानदेह होता है। तो कम से कम यूज़ और जितना नेसेसरी यूज़ है उतना ही फोन का करना चाहिए।

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