Congress की Internal Politics जरूर प्रभावित होगी
प्रियंका गांधी वायनाड से लोकसभा सदस्य चुनकर आ गई हैं .राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर व लंबे समय से काम कर रही थी । अब महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वह पहली बार लोकसभा में इलेक्ट होकर आई है और उनका आना कांग्रेस की इंटरनल पॉलिटिक्स और बाहर की पॉलिटिक्स में जरूर प्रभाव डालेंगा। और वह कितना प्रभाव डालेगा वह आने वाला समय ही बताएगा।प्रियंका गांधी लगातार चुनावों में सक्रिय रही हैं । उनके नाम सफलताओं और असफलताओं की एक सूची है लेकिन सामान्य तौर पर कांग्रेस के लोग कहते हैं की उनकी सफलताओं की लिस्ट राहुल गांधी से बहुत ज्यादा लंबी है । एक बात और है कि बीजेपी से लेकर , देश की राजनीति में वह आने वाले समय में प्रभावी हो पाएंगी या नहीं हो पाएंगी इसको लेकर के शायद संदेह हो सकता है लेकिन इंटरनल पॉलिटिक्स में निश्चित तौर पर उनका प्रभाव नजर आएगा और संभावना यही है कि यह प्रभाव पॉजिटिव हो सकता है कांग्रेस की दृष्टि से।
लोगों को Connect करने की बहुत ज्यादा क्षमता
अब प्रियंका गांधी पर बहुत सारी इस तरह की बातें हैं जिसको समझने की जरूरत हैं। जिस तरह से वह बायनाड से चुनाव जीत करके आई हैं । जीत का मार्जिन तो बढ़ा है , लगभग 4 लाख 4 लाख से ज्यादा मतों से वह जीत करके आई हैं इतना मत का अंतर जो है राहुल गांधी के लिए भी नहीं था तो और उप चुनाव में यह होना अपने आप में एक बड़ी बात है । यह सब इशारा करता है कि प्रियंका गांधी का जो अपीयरेंस है ,उनका जो आर्टिकुलेशन है, उनका जो लोगों तक रीच आउट करने का तरीका है ,पहुंचने का तरीका है वो अपने भाई से बेहतर है । राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं और वह जिस तरह की बात संसद में करते हैं , सामान्यतः उसका नेगेटिव प्रभाव होता है और बहुत मिसमैच होता है दूसरी तरफ अगर प्रियंका की बात करें तो प्रियंका की रैलियों में या प्रियंका जब लोगों से बात करती तो एक कनेक्ट दिखता है उनकी बात में भी कनेक्ट दिखता है ।
हिमाचल, राजस्थान और छतीसगढ़ में Crisis खत्म करने में Priyanka का अहम Role
कुछ बातें देखें जिसने प्रियंका -राहुल की इस तुलना को वजन मिलता है। प्रियंका गांधी के लिए यही कहा जाता है कि हिमाचल में जो क्राइसिस हुई थी, विक्रमादित्य सिंह और मुख्यमंत्री सुखेंद्र सिंह ,सुक्खू के बीच और इसके चलते जब विक्रमादित्य सिंह ने त्यागपत्र देने की बात कही थी माना जाता है यह मामला प्रियंका गांधी के इंटरवेंशन से रुका और विक्रमादित्य पार्टी में रुक पाए । ऐसा ही मसला जब अशोक गहलोत और सचिन
पायलट के बीच राजस्थान में हुआ था वहां भी गांधी का ही इंटरवेंशन था जब सचिन पायलट अपने 17 समर्थक एमएल के साथ पार्टी से अलग होने की बात कर रहे थे। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को उन्हीं का कहा जाता है, माना जाता है कि भूपेश बघेल प्रियंका गांधी खेमे के हैं और जिस तरह से वहां जो सिंह जूदेव – उप मुख्यमंत्री थे। वह लगातार मुश्किलें कर रहे थे , उप मुख्यमंत्री नहीं बने थे और ना भूपेश उनको उप मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार थे तो यहां प्रियंका का ही इंटरवेंशन था कि उनको उप मुख्यमंत्री बनाया गया और बाद में वह वहां की क्राइसिस को एवर्ट किया गया उसको टाला गया ।
पंजाब की बगावत को भी अच्छे से संभाला
पंजाब में लंबे समय तक बवाल चलता रहा जो नवजोत सिंह सिद्धू और वहां बाकी और कांग्रेस के नेता है हालांकि उसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह को पार्टी छोड़ कर के चले गए इसलिए कि गांधी परिवार वहां की क्राइसिस को मैनेज नहीं कर पाई, यह कहा जाता है पर बाद में चरणजीत सिंह चन्नी है या बाकी और लोगों को जिस तरह से मैनेज किया गया और विधानसभा चुनाव हारने के बाद लोकसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस का प्रदर्शन रहा वो भी मोटा मोटी यह कहा जाता है कि प्रियंका गांधी ने जिस तरह से चीजों को वहां मैनेज किया जीत में उसकी बड़ी भूमिका रही।
UP में प्रियंका के कारण ही BJP थम गई
अब इन सबके ऊपर जो असली बात है, अगर वैसा नहीं हुआ होता तो शायद आज बीजेपी जो है वह उत्तर केंद्र में पूरे बहुमत के साथ होती अकेले दम पर । कांग्रेस के कईं नेताओं का मानना है कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का एलायंस नहीं हो रहा था । बहुत सारी असहमतियां थी , जिसको को लेकर दोनों दलों में सहमति नहीं बन पा रही थी। दोनों अकेले अकेले चुनाव जाने में जाने का मन बना चुके थे लेकिन प्रियंका गांधी की फोन पर अखिलेश यादव से बातचीत ने चीजों को बदल दिया, पलट दिया, और कांग्रेस 17 सीटों पर सहमत हो गई उसके बाद अखिलेश भी कम सीटों पर लड़ने को तैयार हुए और चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि एलायंस ने जादू किया। समाजवादी पार्टी 43 सीटें जीत करके आ गई छ सीट कांग्रेस जीत करके आई । माना यही जा रहा है कि अगर यह अलायंस नहीं हुआ होता तो 36-३७ सीटें बीजेपी के खेमे में होती ।
हिमाचल प्रदेश Congress सरकार बनाने में Priyanka का अहम रोल
हिमाचल प्रदेश में अभी कांग्रेस की सरकार है उस सरकार में को बनाने में और कर्नाटक की जीत में भी प्रियंका गांधी का नाम लिया जाता है । यह कांग्रेस के नेता करते हैं और मानते भी है कि अगर प्रियंका एक्टिव होंगी तो पार्टी के लिए संजीवनी की तरह काम करेंगी।
नई Journey में congress party Priyanka की कितनी मदद करेगी
कुल मिलाकर कांग्रेस की सफलताओं में कहीं ना कहीं डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से प्रियंका की भूमिका नजर आती है । और अब प्रियंका गांधी का लोकसभा में आना भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लोकसभा में वह बोलेंगी, अगर ऑफिस में वह नहीं भी बोलती हैं तो लोकसभा से बाहर भी पत्रकार उनसे बात करेंगे और जिस तरह की बाइट्स या बातें निकलती हैं और बेहतर आर्टिकुलेशन होता है तो वह वायरल होता है और प्रभावी भी होता है। लेकिन इसमें जो असली बात है कि क्या वो बीजेपी के लिए चैलेंज कर पाएंगे यह बड़ा प्रश्न है , यह बड़ा प्रश्न इसलिए है कि इसमें और भी बहुत सारे कारण होते हैं संगठन किस तरह से काम कर रहा है , संगठन का कितना प्रियंका को सपोर्ट करता है उनकी एक नई Journey में।