बिहार में चुनाव से पहले कांग्रेस की अंदरूनी कलह के रोजाना कोई ना कोई किस्से सामने आ रहे हैं। सबको पता है कि रहुल गांधी आजकल बिहार के दौरे पर हैं और जब राहुल गांधी का भाषण सुनने एक कांग्रेसी कार्यकर्ता वहां खड़ा था तो भाषण के अंत में ही रीगा के पूर्व कांग्रेस विधायक अमित कुमार टुन्ना ने उसे मारना शुरू कर दिया। अजीब हालात हो गए वह कांग्रेसी कार्यकर्ता अपने को बचाने के लिए आगे-आगे दौड़ रहा था और टुन्ना के साथ कई और कांग्रेसी नेता उसके पीछे-पीछे। एक जगह पर आकर दोनों ही गिर जाते हैं और उसके बाद भी टुन्ना उस युवक को पीटते रहे। मजे की बात ये है कि एक तरफ राहुल का भाषण खत्म करके चलने की तैयारी कर रहे थे, और दूसरी तरफ बिहार कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह गेट पर उनके स्वागत में खडे थे, पर दोनों ही कुछ ना कर पाए, सब कुछ इतना अचानक हुआ कि किसी को समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है। हां बस इतना हुआ कि सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी वायरल हो गया, वहीं दूसरी तरफ रविरंजन नाम के इस कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि डा. अखिलेश सिंह का समर्थक होने के कारण उसकी इतनी पिटाई हुई। अब एक तरफ राहुल गांधी कहते नहीं थक रहे कि महागठबंधन में पूरा तालमेल होना चाहिए क्योंकि मिल कर ही वो बीजेपी को हरा सकते हैं पर दूसरी तरफ उनकी पार्टी में ही दो दिग्गज नेता और उनके समर्थक इस तरह से आपस में भिड़ रहे हैं , तो राहुलजी पहले अपना घर संभाले फिर गठबंधन की सोचें
मोदी को हराने Congress ने 64 साल बाद उठाया ये कदम
मोदी को हराने के लिए कांग्रेस वो सब कर रही है जो उसने कभी नहीं किया होगा, सबसे अहम क्षेत्रीय दलों के सामने घुटने टेक रही है मसलन बिहार में rjd, up में अखिलेश, तमिलनाडु में dmk समेत north east की भी कईं छोटी छोटी पार्टियां भी कांग्रेस को दबा रही है और कांग्रेस दब भी रही है क्योंकि लगता है कांग्रेस का एक मात्र टारगेट रह गया है कि बस मोदी को गद्दी से उतारना है। अब कांगेस मोदी को उनके गढ़ में घेरने के लिए गुजरात में 64 साल बाद अपना अधिवेशन करने जा रही है। अधिवेशन में संगठन को मजबूत करने पर तमाम तरह की चर्चा होगी। यही नहीं बिहार में चुनाव हैं पर इसको कैसे लड़ना है, किसके साथ मिलकर लड़ना है, कौन कौन लड़ेगा तमाम तरह की रणनीती बनाने के लिए भी गुजरात को ही चुना गया है। मतलब कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘घर’ यानी गुजरात में बैठकर अपने यह भी तय करेगी कि अगले साल केरल और असम में होने वाले चुनाव लड़ने के लिए क्या रणनीती अपनाएंगे और किसको पाटनर चुनेंगे। तमिलनाडु में dmk के साथ मिलकर चुनाव लड़ना है या नहीं। वैसे कांग्रेस के कईं नेताओं का गुपचुप तरीके से यही कहना है कि यह इस सबके पीछे राहुल गांधी का ही दिमाग चल रहा है। वैसे आपको बता दें कि कांग्रेस के 140 वर्षों के इतिहास में यह गुजरात में छठा अधिवेशन होगा।
क्या सुप्रीम कोर्ट के आर्डर से BJP आई बैकफेट पर
अकसर यही देखने में आता है कि राज्य में गवरनर बन कर पहुंचे नेता या अधिकारी अपने आपको सुप्रीम पावर समझने लगते हैं, आम लोगों तो क्या कईं बार यह भी देखा गया है कि ये चुनी हुई सरकार को भी कुछ नहीं समझते। पर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने इन लोगों पर कड़ी टिप्पणी की है और उन्हें उनकी असलियत का आइना भी दिखा दिया। जैसे की लगातार तमिलनाडू के राज्यपाल और तमिलनाडु सरकार के बीच चल रही ईगो की लड़ाई से हर कोई वाकिफ है, क्योंकि रोजाना इन दोनों के बीच कोई ना कोई विवाद मीडिया की सुर्खियां बनता है। वैसे आपको बता दें कि तमिलनाड़ु के राज्यपाल आर एन रवि ने सरकार द्वारा पारित कईं बिलों को रोक रखा था। और इसी को लेकर सुप्रींम कोर्ट ने राज्यपाल आर एन रवि को कड़ी फटकार लगाई है , कोर्ट ने साफ कहा है कि राष्ट्रपति के विचार के लिए उनके द्वारा 10 विधेयकों को रोकना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है। गवर्नर के पास कोई वीटो पावर नहीं और इस तरह बिल को अटकाए रखना अवैध है। सुप्रीम कोर्ट ने पीठ ने कहा कि राज्यपाल एक ही रास्ता अपनाने के लिए बाध्य है – विधेयकों पर सहमति देना, या बिल को रोकना और राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना। वैसे चर्चा यही है कि कोर्ट का यह आर्डर मील का पत्थर साबित होगा और दूसरे राज्यपाल के लिए भी संदेश होगा कि वो राज्य में अपनी मनमर्जी नहीं चला सकते हैं।