RAHUL GANDHI बुरे घिरे जंगलराज के बयान पर

यह बात तो लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है कि राहुल गांधी बिहार में जरूरत से ज्यादा interest ले रहे हैं माना यही जा रहा है कि वो बिहार में RJD के साथ तो हैं पर उनकी कोशिश है कि अपनी पार्टी को महागठबंधन में b पार्टी के टैग से निकालकर a कैटिगरी में ले आएं , और इसके लिए राहुल गांधी मेहनत तो कर ही रहे हैं और बिहार के लगातार चक्कर भी काट रहे हैं पर राहुल बिहार की राजनीती से बिल्कुल भी परिचित नहीं है और ना ही वो बिहार के बारे में बोलते समय इसके लिए कुछ होमवर्क करते हैं और शायद यही कारण है अपने बयानों से उन्हें कईं बार मुंह की खानी पड़ती है, वैसे यह बात तो बिहार का बच्चा बच्चा भी जानता होगा क्योंकि इतनी बार दोहराई जाती है कि लालू के शासन का जंगलराज कोई नहीं भूल सकता है, अब राहुल गांधी को शायद यह पता नहीं होगा इसलिए उन्होंने अपने एक बयान में कह दिया कि बिहार में तो जंगलराज है, बस फिर क्या था बीजेपी तो क्या JDU के कईं नेताओं ने उनपर जमकर हमला कर दिया। JDU के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा तो राहुल गांधी के इस बयान पर इतने नाराज हो गए और बोले कि राहुल को वो समय याद नहीं जब बिहार के अपराधियों को लालू सरकार पालती थी, और चारों तरफ हत्या अपहरण, फिरौती और रंगदारी का आतंक था, जंगलराज और उस समय लालू के साथ सरकार में कांग्रेस भी शामिल थी, उमेश कुशवाहा ने यह भी तंज कस दिया कि इसलिए राहुल को बिहार की कानून व्यवस्था पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

 

BIHAR का चुनाव 4 नेताओं का भविष्य दांव पर

बिहार में इतने दौरे करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ साथ नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव सभी को इस चुनाव से बहुत उम्मीदे हैं क्योंकि अब सवाल इन तीनों नेताओं के वर्चस्व पर आ रहा है, चुनाव हारने के बाद इन तीनों नेताओं की ताकत , लोकप्रियता और वर्चस्व पर सवाल जरूर खड़े होंगे। नीतीश कुमार की उम्र और स्वस्थ देखते हुए ये शायद उनका आखिरी चुनाव होगा और जाहिर हैं कि अपनी रिटायनमेंट वो बेहतर ढंग से ही चाहेंगे, वैसे नीतीश कुमार ने सड़क और बिजली विकास कार्यों को बढ़ावा दिया है, पर बार-बार गठबंधन बदलने के कारण उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में सर्वे ने बताया है कि , उनकी लोकप्रियता 60% से घटकर 16-17% रह गई है। वहीं तेजस्वी के घर में हाल ही में तेजप्रताप को बाहर कर तेजस्वी को सर्वेसर्वा बनाया गया है ऐसे में परिवार के साथ पार्टी की भी उनपर पूरी उम्मीदे टिकी हैं, अगर ज्यादा सीटे नहीं आती तो चर्जा जरूर चल निकलेगी तेजप्रताप क्या बुरा था, रही बात राहुल गांधी की तो राहुल गांधी के लगातार बिहार में होने वाले दौरे कांग्रेस को कहीं ना कहीं मजबूती प्रदान कर रहे हैं, पर चर्चाएं यह भी हैं कि दौरे तो हरियाणा और महाराष्ट्र और दिल्ली में भी हुए पर फल कुछ नहीं निकला लेकिन हां बिहार में दौरों का सिलसिला बहुत ज्यादा हो गया है और ऐसे में यदि कांग्रेस की सीटे नहीं बढ़ी तो सबसे ज्यादा राहुल की ही किरकिरी होगी। इन सब के बीच चिराग पासवान की बात करना जरूरी है , जिन्होंने बिहार के लिए अपना वर्चस्व दांव पर लगा दिया है, एनडीए के साथ हैं पर उनकी पार्टी को सीटे मिलें बिहार में अपने आप को स्थापित करने के लिए चिराग के लिए यह जरूरी है।

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