Reiki और colour थैरेपी को तालमेल कईं बीमारियों को भगाए

रेकी के साथ-साथ कईं और अलग थेरेपीस लेकर इलाज करने से बहुत फायदे होंगे। अगर रेकी हीलिंग के साथ-साथ कलर थेरेपीस रंगों को भी यूज़ करते हैं , पॉइंट्स पर तो बहुत जल्दी फर्क पड़ेगा। जैसे कि सब जानते हैं जो कलर्स होते हैं वो हमारे सातों चक्रों से जुड़े होते हैं। अगर उन्हीं चक्रों की ऊर्जा उन्हीं रंगों के साथ हम अपने शरीर में देते हैं और उस जगह को पहले रेकी हीलिंग देते है तो हमें बहुत अच्छे रिजल्ट देखने में आए हैं। हमने बहुत सारे एक्सपेरिमेंट किए हुए है।

सात रंग इंद्रधनुष की शक्ति और शरीर के सातों चक्र भी

कलर थेरेपी में सात रंग की जो इंद्रधनुष की शक्ति होती है जो हमारे शरीर के सातों चक्रों के साथ मिलती है। एक एग्जांपल मैं आपको देने चाहूंगी। सपोज़ आपके पेट में इंफेक्शन हो गए। आपको लूज़ मोशन हो गए। आपको दवाइयां असर नहीं कर रही तो ये बहुत अच्छा रामबाण है। आप अपनी हथेली के बीच पॉइंट अगर पीला रंग रेकी करने के बाद लगाएंगे। क्योंकि हमारा मणिपुर चक्र जो पेट का रंग है वो पीला है चक्र का। अगर यहां पे आप पीला रंग हल्दी का लगाएंगे तो आप देखेंगे जादू जैसा असर होगा और आपका पेट के वो लूट्स मोशन जो किसी दवाई से ठीक नहीं हो रहे हैं वो बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे।

 

हमारे हाथों में छुपा कईं बीमारियों का इलाज

हमारे हाथ में सारे चक्र है। उसी चक्र के हिसाब से कलर होते हैं। तो इन्हीं कलरों की दुनिया में हम रेकी को साथ जोड़ते हैं और देखते हैं अपने रिजल्ट के साथ। रेकी जो एक बहुत अच्छी पद्धति है। आप अपने हाथों द्वारा उपचार कर सकते हैं। लेकिन अगर उसके साथ-साथ आप बहुत सारी थेरेपीस यूज़ करते हैं बिना किसी दिक्कत के। और इन थेरेपीस के कोई साइड इफेक्ट नहीं है। आपको कोई डरने की जरूरत नहीं है। बस जरूरत है पूरी जानकारी की , कौन सा कलर किस जगह लगाना है, किस वक्त लगाना है और उसमें आपको क्या-क्या सावधानी बरतनी है।

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