Society needs Menstrual Hygiene and open discussion about menstruation

जब भी टीवी पर अक्षय कुमार का सैनेटरी नेपकिन का विज्ञापन चलता है घर में बैठे कुछ लोगों के बीच बहस छिड़ जाती है कि क्या ये बेशर्मी है या समाज में जागरूकता फैलाने की एक बहुत अच्छी पहल है। लेकिन कोई माने या ना माने आज पीरियड्स के दिनों में हाइजिन रखना, साफ पैड या साफ कपड़े का इस्तेमाल महिलाओं के स्वस्थ को ठीक रखने के लिए यह पहल एक बहुत बड़ी जरूरत बन गई है क्योंकि पीरियड्स के दौरान साफ नेपकिन या साफ कपड़ा इस्तेमाल करने का संदेश शहर-शहर , गांव-गांव पहुंच रहा है और महिलाओं में गंदे कपडे के इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों पर भी रोक लग रही है, कमी आ रही है।

लेकिन मंजिल अभी दूर है

Menstrual Hygiene

कुछ साल पहले के आंकडें बताते थे कि अभी भी देशभर में 82 फीसदी महिलाएं-लड़किया ऐसी हैं जो अपनी महावारी के दौरान सफाई के लिए इस्तेमाल होने वाले कपड़ों से लेकर, अखबार , घास , राख, रेत तक का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं।

लेकिन हाल -फिलहाल में ऐसे मामलों के आंकडें 62 फीसदी तक पहुंचे है , यह अच्छी बात है कि महिलाओं में सेनेटरी नेपकिन और साफ कपड़े के इस्तेंमाल की जागरूकता बढ़ी है पर 62 फीसदी आंकड़े बहुत ज्यादा है और यह बात ठीक है कि मंजिल अभी दूर है ये आंकड़े हमें जीरों पर लाने होंगे जिससे देशभर में मासिक धर्म के दैरान सफाई का ध्यान ना रखने से महिलाओं-लड़कियों को होने वाली बीमारियों और इसी कारण होने वाली मौतों को भी बिल्कुल खत्म किया जा सके।

कुछ समय पहले जारी किए गए आंकडों से पता चला था कि देश में इस समय ३५ करोड़ से भी ज्यादा महिलाएं-लड़कियां हर महीने मासिक धर्म की पीड़ा से गुजर रही हैं।इनमें से बहुत सी ऐसी हैं जो मासिक धर्म के दौरान सावधानी ना बरतने से किसी ना किसी बीमारी का शिकार होकर डाक्टर के पास पहुंच रही हैं।

Read More: AIR CONDITIONER क्यों बन रहे हैं पर्यावरण के लिए DEADLY—विकल्प तलाशने होंगे

सैनेटरी पैड या साफ कपड़ा इस्तेमाल ना करना मतलब यंग लडकियों-महिलाओं में कईं गंभीर बीमारियां

सैनेटरी पैड या साफ कपड़ा इस्तेमाल ना करना मतलब यंग लडकियों-महिलाओं में कईं गंभीर बीमारियां

मासिक धर्म में सफाई का ध्यान ना रखने से महिलाएं फंगल इंफेक्शन , यूरीनरी ट्रेक इंफेक्शन और रिप्रोडक्टिव ट्रेक इंफेक्शन का शिकार बन रही हैं। सुविधाओं, जागरूकता के अभाव में ये इंफेक्शन फैल कर ना केवल बहुत सी लड़कियों को मां बनने के सुख से वंचित रहा है बलिक कम उम्र में उनपर सर्वाईकल कैंसर होने का खतरा मंडरा रहा है। एक सर्वे के मुताबिक 64 स्त्री रोग विशेषज्ञ मानती हैं कि मासिक धर्म के दौरान सैनेटरी पैड का इस्तेमाल महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने के खतरे को कम कर सकता है। जबकि 97 फीसदी डाक्टरों के अनुसार पैड का इस्तेमाल महिलाओं को रिप्रोडक्टिव इंफेक्शन के खतरे से बचाने का काम कर सकता है।

Vaginal infection ——-मासिक धर्म के दौरान गंदा कपड़ा या कोई और गंदी चीज के इस्तेमाल करने से कैडिडिआसिस प्राइवेट पार्टस साफ नहीं रहते और इससे कैडिडिआसिस नामक इंफेक्शन हो जाता है। Vaginal जब साफ नहीं रहती तो वहां मौजूद अच्छे बैक्टीरिया की मात्रा कम होती है और कैंडिडा नामक यीस्ट की मात्रा बढ़ जाती है और इंफेक्शन बढ़ता जाता है।

Cervix infection ——- प्राइवेट पार्ट में गंदगी रहने से गर्भाशय के मुख पर इंफेक्शन हो जाता है । इससे बांझपन और कैंसर तक हो सकता है

fellopin tube -overy infection —— यहां egg और sperms फर्टिलाइज होते हैं । पर गंदगी और इंफेक्शन होने से यह संभव नहीं हो पाता और महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती।

Cervical cancer———periods के दौरान बहुत बार लंबे समय तक रक्तस्राव होता है ऐसे में सफाई ना होने से इस कैंसर के होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। आंकड़ें बताते हैं कि देश में हर साल सर्वाइकल कैसर के एक लाख ३२ हजार नए मामले सामने आते हैं, इनमें कम उम्र की लड़कियों की भी अच्छी खासी संख्या है। डाक्टरों के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के होने की सबसे बड़ी वजह private parts की unhygnic condition है।

Read More: क्या है सेक्सटोरशन – हर उम्र के लोग बन रहे हैं इसका शिकार

मासिक धर्म का डर लड़कियों को शिक्षा से भी दूर करता है

मासिक धर्म से जुड़े कुछ और कटु सत्य पर नजर डालें तो इस प्रोग्राम के सफल होने की बहुत जरूरत महसूस होती है। कुछ समय पहले आए आंकड़ों से पता चला कि ७१ फीसदी किशोरियों को अपने पहले मासिक से पहले तक इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती। अभी भी लगभग २० फीसदी लड़कियां मासिक धर्म शुरू होते ही डर- सुविधाओं के अभाव के कारण स्कूल छोड़ देती है।

सुलभ इंटरनेशनल रिपोर्ट – स्कूलों में शौचालय या पानी का ना होना लडकियों को स्कूल जाने से रोकता है।

कुछ समय पहले NGO Sulabh International ने menstrual hygiene management पर एक रिपोर्ट निकाली थी और उसमें बताया था कि देश के स्कूलों में शौचालय ना होने या उसमें पानी-साबुन ना होने से दरवाजे गायब होने के कारण या गंदगी के कारण बहुत सी लडकियां मासिक धर्म के दिनों में स्कूल से छु्ट्टी लेने को मजबूर हो जाती हैं। और पता लगा कि साल में लगभग 60 दिन लड़कियां स्कूल से छुट्टी ले लेती हैं।

इस रिपोर्ट के लिए 7 states जिसमें Assam, Bihar, Chhattisgarh, Haryana, Maharashtra, Odisha, and Tamil Nadu शामिल थे कि 14 districts के 22 blocks और 84 गांवों में रहने वाली 4,839 लड़कियों और महिलाओं से बात की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि स्कूलों में शौचलय होने के साथ उसे इस्तेमाल करने के पूरे साधन होने चाहिए जिससे लडकियां मासिक धर्म के दिनों में आसानी से स्कूल जाकर शौचालय इस्तेमाल कर सकें।

रिपोर्ट में फैक्टरी, स्टोर, दुकानों में काम करने वाली महिलाओं के लिए एक अलग रूम और शौचायल होने की बात कही गई जिससे unorganised sector में काम करने वाली महिलाएं भी periods के दिनों में आसानी से काम पर जा सकें।

देश में सरकार के साथ-साथ कईं स्वयंसेवी संस्थाएं मासिक धर्म के बारे में जागरूरता और सुविधाएं देने का काम कर रही

कम हो लोगों को पता होगा कि Ministry of Health and Family Welfare ने एक योजना के तहत गांवों में रहने वाली 10-19 साल की लड़कियों के लिए menstrual hygiene जागरूकता कार्यक्रम की शुरूआत की हुई है। इसके तीन मकसद है Menstrual Hygiene जागरकता , लड़कियों को सेनेटरी पैड की सुविधा उपलब्ध कराना और फिर उन पैड को कैसे फैंका जाए उसके बारे में जागरूक करना।

इस योजना को 2011 में 17 राज्यों की 107 districts में शूरू किया गया था जिसमें लड़कियों को six sanitary napkins 6 रूपए में उपलब्ध कराए जाते थे। called “Freedays” was provided to rural adolescent girls for Rs. 6. वर्ष 2014 में मोदी सरकार आने के बाद इस योजना को और विस्तार दिया गया।

आशा वर्कर्स और आंगनबाडियों की महिलाओं को इस काम में जोडा गया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को National Health Mission के तहत इस काम के लिए फंड दिए जाते हैं।

Read More: अगर हम संभले नहीं, तो पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी

स्वयंसेवी संस्था की अनूठी पहल –

कुछ साल पहले एक सामाजिक कार्यकर्ता अमर तुलसियान ने नाइन मूवमेंट नामक एक प्रोग्राम की शुरूआत की थी, यह उन नौ अहम महीनों के सफर का प्रतीक है जो एक महिला, मां बनने के लिए पूरा करती है। एक सेफ मदरहुड के लिए सेफ- हाइजीनिक मैनस्ट्रूअल सर्किल कितना जरूरी है- इस बात को घर-घर पहुंचाना नाइन मूवमेंट के समक्ष एक बड़ा लक्ष्य था ।

इस प्रोग्राम के जरिए हर महिला हर किशोरी तक सस्ते से सस्ते सैनेटरी पैड पहुंचाने कि लिए काम शुरू किया गया । विशेषकर गांवों, पिछडें इलाकों में रहने वाली गरीब, अनपढ़ महिलाओं के साथ किशोर उम्र की लड़कियों को घरों के आसपास जैसे स्कूल-कालेजों के अलावा, ग्राम पंचायतों , छोटी-छोटी दुकानों तक तक में पैड रखने की व्यवस्था शुरू की गई । यही नहीं देश के अलग-अलग हिस्सों में यंग लड़के-लड़कियों , महिलाओं , स्वयंसेवी संस्थाओं को इस प्रोग्राम का हिस्सा बनाकर गरीब लड़कियों तक सस्ते पैड पहुंचाएं जा गए।

नाइन मूवमेंट प्रोग्राम से जुड़ी महिला डाक्टर स्कूल, कालेजों, पंचायत सभाओं में जा जाकर लड़कियों -महिलाओं को उन बीमारियों के प्रति आगह किया जो मासिक धर्म के दौरान सफाई ना अपनाने से हो जाती हैं ।

जागरूकता के कारण पीरियड्स नाम का टैबू धीरे -धीरे कम हो रहा है

जागरूकता के कारण पीरियड्स नाम का टैबू धीरे -धीरे कम हो रहा है

अच्छी बात ये है कि पीरियड्स नाम का एक टैबू जो हमारे समाज, हमारे घरों में सदियों से चला आ रहा था वो कम हो रहा है आज पीरियड्स से जुड़ी बातें, इस दौरान बरतने वाली सावधानियों की कम से कम खुल कर बात होती है चर्चा होती है और घर की महिलाएं अपनी बेटियों से खुलकर इसपर बात करती हैं ।

पर अभी भी कईं बड़ी चुनौतियों का सामना करना है

सरकार हो या कोई संस्था मासिक धर्म से जुड़ी कई बेकार कुरूतियों को दूर करने के लिए बहुत काम करना है। अभी भी हाल ये है कि मासिक धर्म से गुजर रही लड़कियों को घर में किसी चीज को ना छूने, अलग बर्तनों में खाना खाने, बिस्तरों पर ना बैठने के लिए मजबूर किया जाता है।हालत इतनी खराब है कि बहुत सी जगह उन्हें घऱ के एक कोने में या घर से बाहर पशुओं के लिए बने तबेलों में रहने के लिए बाधित किया जाता है।

इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए घर की बड़ी महिलाओं से लेकर यंग लड़कों , घर के पुरूषों को बड़ें पैमाने पर समझाने का काम शुरू करना होगा ये बहुत अहम है क्योंकि जब तक मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को घर में आराम, सम्मान , बड़ों का सहयोग नहीं मिलेगा, वो मैनअस्ट्रूअल हाइजीन से नहीं जुड़ पाएंगी।

Get more stuff like this

in your inbox

Subscribe to our mailing list and get interesting stuff and updates to your email inbox.

we respect your privacy and take protecting it seriously