फास्ट फूड, डिब्बा बंद, रेस्तरां से पैक होकर आया खाना, बच्चों से लेकर युवाओं और महिलाओं तक में आज इस खाने का क्रेज इतना बढ़ चुका है कि इससे जुड़े तमाम खतरों को जानने के बाद भी लगता है कि ये खाना आज हर धर की जरूरत बन चुका है। लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं उस खाने की जो काले, सफेद रंगों के डिब्बों में पैक होकर गर्म -गर्म आप तक 20-30 मिनट में पहुंच जाता है और आप इतने खुश हो जाते हैं कि गर्म -स्वादिष्ट , आकर्षक और हाइजनिक तरीके से पैक होकर आप तक आपका मनपसंद खाना पहुंच गया।
अब चाहे यह बनी बनाई सब्जियां हों, पास्ता हो, दही का कोई आइटम हो या फिर रोटियां। कम ही लोग से जानते होंगे कि चाहे ये खाना कितने भी हाइजिक ढंग से बना हो , पैक किया गया हो लेकिन हमारी सेहत के लिए यह खाना एक धीमे जहर की तरह काम करता है। आश्चर्य होगा कि जिन प्लास्टिक के डिब्बों में इस खाने को पैक किया जाता है वो बहुत ही घटिया किस्म की प्लास्टिक होती है और उपर से जब गरम खाना इसमें पैक किया जाता है तो विशेषज्ञ बताते हैं कि ये गंदा प्लाटिक गर्म खाने के साथ मिलकर कई तरह के रिएकशन करते हैं जिससे इस प्लास्टिक से कई खतरनाक कैमिकल निकलकर खाने में मिलने शुरू हे जाते हैं और हमें पता ही नहीं चल पाता है कि हमारा गर्म खाना— स्वादिषट खाना हमारे शरीर में धीमे धीरे एक जहर को पहुंचा रहा है।
बैन होने के बावजूद धडल्ले से बिक रहा है गंदा प्लास्टिक
गंदे प्लास्टिक के खतरों के बारे में जागरूक करने वाली एनजीओ टाकसिक लिंक की प्रीति महेश बताती हैं कि खाना पैकिंग के लिए जिस प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है वो बहुत ही गंदी क्वालिटी के होते है और इन कंटेनर की क्वालिटी पर कोई चैक नहीं होने के कारण बहुत सी फूड चेन इनका इस्तेमाल पैकिग में कर रही है क्योंकि ये सस्ते मिल जाते हैं। वैसे आपको बता दें कि सिगल यूज प्लस्टिक जो बैन हो चुकी है अभी तक उसके प्लास्टिक के कंटेनर बनाए जा रहे हैं , जिसमें पैक किया हुआ गर्म खाना आपको कई तरह की बीमारियों का शिकार बना रहा है। घटिया किस्म के प्लास्टिक में फथैलेट्स (PHTHALATES) कैमिकल होता है जो प्लास्टिक को लचीला तो बनाता है पर सेहत के लिए बड़ा खतरा बन जाता है। यही नहीं प्लास्टिक की बोतलों में स्टोर किया हुआ पानी तक सेहत के लिए बड़ा खतरा है।
क्यों हैं घटिया प्लास्टिक में पैक गर्म खाना शरीर के लिए जहर
विशेषज्ञ बताते हैं कि प्लास्टिक के टिफिन, डिब्बों में या बोतलों में गर्म खाना या पानी रखने से प्लास्टिक के केमिकल बडी मात्रा में खाने में मिलने के पूरे चांस रहते हैं। प्लास्टिक के माइक्रोप्लास्टिक कण बनने शुरू हो जाते हैं खाने और पानी में मिल जाते हैं जो खाने में जहर के समान काम करते हैं। यही नहीं लंबे समय तक प्लास्टिक के टिफिन और बोतलें में रखा खाना और पानी में अजीब स्वाद और गंध पैदा हो जाती है और यह दूषित होकर शरीर को नुकसान करता है।
कैसे रिसर्च में खतरनाक नैनोप्लास्टिक्स कण के बारे में पता किया गया
अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों ने एडवांस तकनीक का प्रयोग करके देखा कि पानी की एक सामान्य एक लीटर बोतल में करीब-करीब 240,000 प्लास्टिक के टुकड़े मिल जाते हैं। इसमें नैनोप्लास्टिक्स पर फोकस किया गया था जो माइक्रोप्लास्टिक्स से भी छोटे कण होते हैं। ऐसा पहली बार किया गया था पानी में प्लास्टिक के खतरनाक कण की पहचान की गई थी। यह स्टडी जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुई है।
शरीर में कौन-कौन सी बीमारियों का कारण बन रहे हैं खाने के डिब्बे
प्लास्टिक में पैक की गई गर्म चीजों का सेवन करने से सीधा नुकसान हमारे पाचन तंत्र और किडनी को भी होता है, प्लास्टिक में पाए जाने वाले थैलेट्स नामक केमिकल से लिवर कैंसर और स्पर्म की संख्या में कमी हो सकती है। जिससे प्रजनन क्षमता पर सीधा असर पडता है। यही नहीं पानी और खाने में मौजूद नैनोप्लास्टिक्स इतने छोटे होते हैं कि सीधा हमारी आंतों और फेफड़ों के जरिए सीधे खून में प्रवेश कर सकते हैं और वहां से दिल और दिमाग में जाकर उसे नुकसान पहुंचाते हैं। यह भी पता चला है कि नैनोप्लास्टिक्स गर्भ की नाल के जरिए अजन्मे बच्चे के शरीर में भी जा सकते हैं।
कईं बीमारियों के होने की बडी वजह है गंदा प्लास्टिक
ब्रेस्ट कैसर : कईं रिसर्च बताती है कि सूरज की किरणों से सीधा संपर्क में आने के बाद प्लास्टिक की पानी की बोतलें डाइऑक्सिन नामक कैमिकल बना लेती हैं जो ब्रेस्ट कैंसर होने की एक बड़ी वजह बन सकता है।
डायबिटीज : प्लास्टिक की बोतल में लगातार पानी पीने से शुगर होने का खतरा रहता है और मोटापा भी बढ़ जाता है
हमारी प्रतिरोधक क्षमता पर इसका असर : रिसर्च बताती है कि प्लास्टिक की बोतलों में लंबे समय तक पानी रहने से वह पानी हमारी इम्यूनिटी का कमजोर करता है, हम जल्दी जल्दी बीमार पड़ना शुरू कर देते हैं और पता तक नहीं चल पाता है कि इसके पीछे वजह क्या है।
प्लास्टिक की बजाय और साधनों को अपनाएं : हम यह नहीं कर सकते कि बाजार से खाना मंगवाना बंद कर दें पर ऐसे रेस्तरां से मत मंगवाएं जो प्सास्टिक का उपयोग कर रहे हैं और यदि मंगवाएँ तो हिदायत दें कि वो प्लास्टिक की बजाय मोटे कागज या बैंबू के बाक्स में खाना पैक करके दें। आफिस और बच्चों के लिए टिफिन भी स्टील का लें।प्लास्टिक की बोतल के बजाय तांबे, कांच या स्टेनलेस स्टील की बोतल में पानी स्टोर करें और यही बोतलें साथ लेकर चलें।