UP क्या योगी जी घुसपैठियां हैं-किसने बोला हल्ला

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने  वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घुसपैठिया बताकर एक नया विवाद पैदा कर दिया है,  अखिलेश यादव ने कहा कि योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड से आते हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश के लिए घुसपैठियां है और उनको जो है वापस भेजा जाना चाहिए।कुल मिलाकर के इसको अगर इस दृष्टि से देखें कि विपक्ष के पास  ना नरेंद्र मोदी का कोई जवाब नजर आ रहा है ना योगी आदित्यनाथ को कोई जवाब नहीं दे रहा है इसलिए इस तरह की गैर जिम्मेदार बयानबाजी हो रही है। अब अगर इस दृष्टि से देखा जाए तो लंबी फहरिस्त है। मतलब अगर आप बात करें अटल बिहारी वाजपेई शरद यादव शरद यादव जो है वो मध्य प्रदेश से थे वो चुनाव बिहार से लड़ते थे। रामविलास पासवान मधुलमय महाराष्ट्र के थे। बिहार से चुनाव लड़ते थे। जॉर्ज फर्नंडीस लाल कृष्ण आडवाणी गुजरात से लड़ते थे। दिल्ली उनका वो था। शत्रुघ्न सिन्हा बिहार के हैं। दिल्ली से भी चुनाव लड़े। उसके अलावा पश्चिम बंगाल से लोकसभा में है कीर्ति आजाद बिहार वो  के हैं। वो दिल्ली से भी चुनाव लड़े हैं। गोल मार्केट से विधायक थे और अभी पश्चिम बंगाल से सांसद हैं। लंबी फहरिस्त है। और तो और मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू कश्मीर से थे और उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से सांसद बने थे और गृह मंत्री  वहीं से बने थे। उन सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार से वाराणसी से लोकसभा में तो ये सिर्फ अखिलेश यादव की यह बात  फ्रस्ट्रेशन के अलावा उससे ज्यादा कुछ नहीं है। और अपीज़मेंट के लिए मुसलमानों को खुश करने के लिए वो कुछ भी अनापशनाप बयानबाजी करते हैं जिसको जनता समझ रही है।

RSS बैन हो, तालिबान से की तुलना

आरएसएस पर न केवल प्रियांक खड़गे बल्कि जो सीतारमैया है उनके पुत्र  यतेंद्र सीतारमैया ने rss की तुलना  तालीबान से की है, उसे तालीबान के  बराबर ठहराया है आरएसएस को और उसके थोड़ा पहले ही प्रियंक खडगे ने मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी लिख के संघ को आरएसएस को बैन करने की बात कही थी कर्नाटक में। अब यह दो बड़े मसले कर्नाटक में चल रहे हैं। पहला यह कि आरएसएस को पब्लिक स्पेस में शाखा नहीं लगाने दिया जाना चाहिए। उनकी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। ये प्रियंक खडगे कह रहे हैं और मुख्यमंत्री के सुपुत्र जो हैं वो उन्होंने आरएसएस को बताया है तालीबान के बराबर। तो यह संघ को लेकर के लगातार उस पर आक्रमण चल रहा है। क्योंकि ये लोग जानते हैं कि संघ इन सब मामलों में जवाब दे जवाब नहीं देता है
इसलिए वो इस सब बात करके निकल भी जाते हैं। अब इन सब के बाद एक जो सबसे अहम बात है कि क्या ये प्रदेश सरकार के बस का है कि वो किसी संगठन को प्रतिबंधित लगा दें। अपने चुनावी घोषणापत्र में उन्होंने बजरंग दल को बैन करने की बात कही थी लेकिन वह बैन नहीं कर पाए। खैर यह सिर्फ पब्लिक कंजमशन के लिए होता है। अपने मुस्लिम वोटर्स को खुश करने के लिए होता है और वो गाहे बगाहे जो कांग्रेस है वो एंटी हिंदू बात करके उनको खुश करने की कोशिश करती रहती है और सही भी है। इससे मुस्लिम मतदाता जो कॉमन मुस्लिम मतदाता है जो समझदार है उसकी मैं बात नहीं कर रहा हूं। जो भीड़ के साथ चलने वाला मुस्लिम मतदाता है वो खुश भी होता है।

दिल्ली दंगों के आरोपी लड़ना चाहते बिहार का चुनाव

सरजिल इमाम जो दिल्ली दंगों के आरोपी हैं उन्होंने अदालत में अर्जी लगा के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की लड़ने तक के लिए जमानत देने की बात की है। अब इसमें उनका यह बात बहुत पहले कही जा रही थी जब अरविंद केजरीवाल को चुनाव लड़ने के लिए चुनाव कराने मतलब दिल्ली विधानसभा के चुनाव के लिए क्योंकि वह आम आदमी पार्टी के कन्वीनर हैं थे मतलब हैं तो तो उनको दिल्ली विधानसभा के चुनाव के लिए जमानत दी गई थी चुनाव के उसमें उसके बाद बाद में उनको जमानत मिल गई। दूसरा ये राशिद इंजीनियर जो जो जम्मू कश्मीर से सांसद हैं उनको भी कई मामलों में इस तरह के उस पर चुनाव या और बाकी सारे मामलों में जमानत मिली थी। तो उन सबको दावा उन सबको मद्देनजर रखते हुए सरजिल इमाम ने भी ये कहा है कि उनको भी जमानत दी जानी चाहिए और ये चर्चा उस समय ही हो रही थी जब अरविंद केजरीवाल को चुनाव लड़ने के लिए जमानत मिली थी तब भी ये कहा जा रहा था कि ये रॉन्ग प्रेसिडेंस है। अगर इस तरह से जमानत दी गई इस ग्राउंड पर तो यह एक प्रेसिडेंस की तरह से काम करेगा। हालांकि कोर्ट ने ये कहा था कि इसको इट शुड नॉट बी टेकन एस प्रेसिडेंस। लेकिन बहुत सारे मामले में इस तरह के आर्गुममेंट दिए जा रहे हैं और उसको ग्राउंड बना के लोग अदालत में जा रहे हैं , जो काउंसिलर है और दिल्ली दंगों का वो भी आरोपी है। अभी जेल में है। उसने भी आम आदमी पार्टी का ही वो वो आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है। उसने भी दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने की लड़ने के लिए जमानत की अपील की थी। वो एमआईएम से चुनाव लड़ना चाह रहा था। एमआईएम उसको टिकट ऑफर कर रही थी। लेकिन उसको जमानत नहीं दी गई। अब सरजिल इमाम भी उसी तरह से चुनाव लड़ने के लिए जमानत मांग रहे हैं कि उनको जमानत दी जाए और चुनाव लड़े। तो यह कई मामलों में बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए कि वह उस इलाके से चुनाव लड़ेंगे जहां मुस्लिम पपुलेशन कंसंट्रेटेड मुस्लिम पापुलेशन है और वो पूरी की पूरी एक माइंडसेट के साथ जो चिकन नेक को ब्लॉक करके भारत को नॉर्थ ईस्ट से उससे अलग करने की बात करने वाले लोग हैं।

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