UP में अधिकारियों की बढ़ती बदतमीजी योगी का Protection या विपक्ष की साजिश
क्या योगी ने ही अपने अफसरशाहों को power -protection और खुले अधिकार दे रखे हैं जो वो अपनी मनमर्जी पर उतर आए हैं और मंत्रियों , नेताओं तक से बदतमीजी करने से नहीं चूक रहे, जी हां यूपी में इस तरह के कईं मामले सामने आ चुके हैं और अब जब खुद राज्य की राज्यपाल राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तक ने भी कह दिया कि फाइल लटकाने की कला तो कोई ब्यूरोक्रेसी से सीखे। इसके बाद से ही यह मुद्दा और उछल गया और विपक्ष को मिल गया योगी पर वार करने का एक और हथियार। सबसे पहले यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की बात करते हैं जिन्होंने आरोप लगया है कि उन्हें बदनाम करने के लिए कुछ कर्मचारियों ने सुपारी ले रखी है। इसलिए वो उनके निर्देश सुनते ही नहीं, यही नहीं राज्य कारगार मंत्री सुरेश राही के साथ तो गजब हो गया , जब उन्हें एक जूनियर इंजीनियर ने कह दिया कि आप खुद आकर ट्रांसफार्मर लगा लें, बात यूं थी कि 15 दिनों से खराब पड़े ट्रांसफार्मर को ठीक करने को लेकर जब उन्होंने जेई को फोन किया तो उसने उन्हें टका सा जवाब दे दिया। अब बात करते हैं परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की जिन्हें भी उनके ही विभाग ने नजरअंदाज कर दिया और उनकी ही विधानसभा क्षेत्र में बने पुल का बिना उन्हें बताए पीडब्ल्यूडी ने उद्घाटन कर खोल दिया गया।और अब इसी कड़ी में जब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी ऐसा ही कुछ कह दिया, अयोध्या दौरे पर पहुंची आनंदी बेन पटेल ने सीएसआर कॉन्क्लेव में कहा कि रामलला के दर्शन आसानी से हो जाते हैं लेकिन फाइलों के दर्शन नहीं होते हैं। वैसे अंनदीबेन ने यह भी कह दिया कि ये हाल सिर्फ यूपी में नहीं है, पूरे भारत में है। पर यूपी के लिए तो सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि ये सब इतिफाक है या योगी का protection या फिर विपक्ष की सरकार को बदनाम करने की साजिश
Bihar -कौन से विधायक छोड़ रहे नीतीश का साथ

बिहार में चुनाव आने वाले हैं और ऐसे में हर पार्टी साम दाम, दंड भेद की नीती अपनाकर बस किसी तरह cm की कुर्सी पर बैठाना चाहती है और इसके चलते दूसरी पार्टियों के विधायक तोड़ने का भी काम चल रहा है , लालू यादव मंझे हुए खिलाड़ी हैं और इस खेल में माहिर भी तो अचानक उनकी पार्टी के एक बयान से बिहार की राजनीती में जबरदस्त हलचल मच गई है, जी हां rjd ने दावा किया है कि जेडीयू के विधायक पार्टी छोड़ रहे हैं और नीतीश जी को करारा झटका मिलने वाला है। आपको बता दें कि जैसे की बिहार में वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण का काम चल रहा है और ऐसे में rjd ने खुलेआम ये ऐलान कर दिया कि खुद jdu के दो दर्जन से ज्यादा विधायक इससे नाराज हैं पर अभी तक चुप बैठे थे पर अब उनका सब्र टूट गया है इसलिए वो जल्द ही jdu को bye bye करने वाले हैं। आपको बता दें कि यह दावा किसी छोटे मोटे नेता ने नहीं किया है बल्कि RJD के spokeperson मृत्युंजय तिवारी ने यह बात पबिलिकली कहकर बिहार की राजनीती में खलबली मचा दी है। वैसे इसके पीछे तर्क यही दिया जा रहा कि इस process में जेडीयू के विधायकों को हराने का डर सता रहा है। जी हां क्योंकि इसमें देखा जा रहा है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 25 से 30 हजार तक वोट कम हो गए हैं और विधायकों को लग रहा है कि इससे वो हार भी सकते हैं, पर मृत्युंजय तिवारी यह नहीं बता सके कि पार्टी छोड़ने से क्या यह process रूक जाएगा और अगर ये विधायक महागठबंधन में आ जाते हैं तो क्या इन्हें सीट मिलेगी और क्या ये जीत जाएंगे। वैसे इस पर पलटवार करते हुए jdu के जेडीयू के राजीव रंजन प्रसाद ने करारा जवाब दिया और कहा कि आरजेडी पहले अपनी पार्टी को संभाले, पता नहीं कौन नेता कब कहां चला जाए।
जब मोदी Met राष्ट्रपति क्या होने वाला कुछ बड़ा खेला

ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान कर दिया-संसद ठप पड़ी हुई है, विपक्ष बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों से SIR पर चर्चा की मांग कर रहा है।उपराष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और इन सब के बीत पीएम मोदी की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात चर्चाओं में आ गई है कि क्या ऐसी खास बात हुई है कि मोदी को संसद के बीच में राष्ट्रपति से मिलना पड़ गया। क्या सरकार कोई बड़ा कदम उठाने वाली है, क्या यह कदम अमेरिका को सबक सीखाने के लिए है या संसद में लगातार हंगामा करने वाले विपक्ष को सबक सीखाने की कोई रणनीती बन रही है, चर्चाओं का बाजार गर्म है कि मोदी अचानक राष्ट्रपति से क्यों मिलने गए आपको बता दें कि इससे पहले
7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी देने के लिए पीएम मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी, इसलिए चर्चा और भी ज्यादा है कि मोदी क्या बड़ा कदम उठाने वाले हैं जो राष्ट्रपति को जानकारी देनी जरूरी है।
