UP -योगी ने कैसे पसीने छुडवाए अखिलेश यादव के 

लगता है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बीच छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है जिसको जब मौका मिलता है दूसरे को डाउन करने का प्रयास करता है , अब हाल ही में अखिलेश ने योगी पर आरोप लगाया था कि वह SIR में समाजवादी पार्टी के वोट कटवा रहे हैं। पर अब योगी के हाथ कुछ ऐसी जानकारी लगी है जिससे अखिलेश यादव के पसीने छूटने शुरू हो गए हैं। विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से पहले ही मुख्यमंत्री योगी ने खुलकर कहा कि  कप सिरप जांच के मामले में समाजवादी पार्टी से जुड़े लोगों का नाम सामने आ रहा है, योगी ने तंज कसते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी को वो स्थिति है कि भूल बार-बार करता रहा धूल चेहरे पर थी और आईना साफ़ करता रहा। आपको बता दें देशभर में कप सिरप ने बहुत से बच्चों की जान ले ली है जिससे इसकी बिक्री पर  बैन लगा दिया गया है  यूपी में भी राज्य स्तर की एसआईटी टीम इस मामले  की जांच कर रही है और इसी जांच के दौरान पता चला कि समाजवादी के लोग इस सिरप को बनाने वाले गलत लोगों का साथ दे रहे हैं और इसी को लेकर योगी ने समाजवादी पार्टी को कटघरे में खडा कर दिया है।

इस गलती की सजा सिर्फ हार है अखिलेश जी

कांग्रेस के वोट काटने के आरोपों की  धीरे धीरे अपने आप ही हवा निकल रही है, जनता इसे रिजेक्ट कर चुकी है और कांग्रेस के कईं साथी इस बात को समझ चुके  हैं और इसके साथ खड़े नहीं दिखते हैं।  इसमें जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और सांसद सुप्रिया सुले का नाम सबसे प्रमुख है जिन्होंने हाल ही में वोट चोरी अभियान से किनारा कर लिया पर लगता है यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को अभी तक लग रहा है कि यूपी में वोट चोरी का मुद्दा उनकी जीत का रास्ता बना सकता है इसलिए उन्हें जब भी मौका मिलता है वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस पर घेरने का अवसर नहीं छोड़ते , अब अखिलेश ने वोट चोरी को लेकर एक नया आरोप जड़ दिया है कि योगी विशेष गहन पुनरीक्षण यानी sir अभियान के तहत  समाजवादियों का वोट काटने के लिए अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं। यही नहीं अखिेलेश ये भी कहकर अपना मजाक ही उड़वा रहे हैं कि मुख्यमंत्री योगी जहां भी जाते हैं  वहां अधिकारियों के कान में फुसफुसाते हैं और  वोट काटने का आदेश दे देते हैं।  अखिलेश ने योगी के यूपी में चार करोड़ वोट कटने के बयान पर भी सवाल खडे कर दिए और कहा कि अभी तक निर्वाचन आयोग के आंकड़े नहीं आए तो  मुख्यमंत्री को कैसे पता चल गया कि 4 करोड़ वोट कट गए हैं। वैसे जिस तरह बिहार की जनता ने कांग्रेस -RJD के वोट चोरी आरोपों को धता बताते हुए उन्हें हार का रास्ता दिखा दिया  क्या यूपी में भी अखिलेश के साथ यही होने वाला है, समझदारी तो यही है कि अखिलेश इस बात को जितनी जल्दी समझ जाएं उतना उनके लिए बेहतर ही होगा।

मजदूरों का हित है तो क्यों दुखी है विपक्ष 

लगता है विपक्ष ने कमर कस ली है कि सरकार के हर काम,  हर अभियान का विरोध करेंगे और इसे जनता विरोधी बताने के लिए लगातार बयानबाजी  भी करेंगे, आपको बता दें कि संसद में मनरेगा योजना का नाम बदलने के लिए जो बवाल विपक्ष मचा रहा है तो  समझना यह जरूरी है कि आखिर यह योजना है  क्या और विपक्ष बिना किसी बात के इसके लिए इतना  हंगामा मचा रहा है, दरअसल  साल  2005 में  संसद की ओर से गरीब मजदूरों को साल के कुछ महीने  रोजगार की गारंटी के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम  यानी नरेगा को पास किया था  पर इसी योजना का नाम 2 अक्टूबर 2009 को बदलकर मनरेगा यानी महातमा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम रख दिया, यानी महात्मा गांधी का नाम बाद में जोडा गया और यही बात संसद में  शिवराज चौहान ने बोली और कहा कि अपने चुनावी फायदे के लिए कांग्रेस ने इस योजना में महात्मा गांधी का नाम जोड़ा था , ये योजना तो पहले  नरेगा के नाम से ही जानी जाती थी,  पर 2009 के चुनाव में कांग्रेस को गांधी याद आ गए और इसका नाम बदल दिया गया, चौहान ने तंज कसते हुए यह भी कहा कि आज सरकार  इसके लाभ का दायरा बढ़ाने के लिए नई योजना  ला रही है तो विपक्ष को क्यों परेशानी हो रही है। जहां पहले इस योजना में गारंटी वाले रोजगार के दिनों की संख्या 100 थी, पर अब से 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई  है। साथ ही 220 रुपये की रोजाना मजदूरी को बढ़ाकर 240 रुपये प्रतिदन कर दिया गया है। यह योजना अब तक केंद्र सरकार चलाती थी पर अब इसको और ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए राज्य सरकार को भी इसमें भागीदारी दी गई है, पर इन सब बातों को साइड लाइन करके विपक्ष केवल इस योजना का नाम बदलने के मुद्दे पर सरकार को घेर रही है , पर इससे खुद विपक्ष की नीयत पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

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