Vice President चुनाव महागठबंधन की unity की पोल खुली


उपराष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह की खबरें आ रही हैं कि क्रॉस वोटिंग हुई है और लगभग 15 14 वोटर्स ने जो आईएनडीएआईए के समर्थक हैं , ऑफिशियली आईएनडीआई का हिस्सा हैं। उन लोगों ने एनडीए के कैंडिडेट सीपी राधाकृष्णन को
वोट किया। अपने ऑफिशियल कैंडिडेट बी सुदर्शन रेड्डी के लिए वोट नहीं किया। अब निश्चित तौर पर इसके अगर सीधे तौर पर मायने निकाले जाए तो पहला मायने तो यह है कि इन लोगों को जो आईएनडीआईए का नेतृत्व है उस नेतृत्व पर भरोसा नहीं है। एक बात दूसरी बात यह है कि इन लोगों को यह भी हो सकता है कि जो कैंडिडेट है उसके कैंडिडे को लेकर के संदेह है। इसलिए कि उनकी बहुत सारी चीजों को लेकर के ऑब्जेक्शंस लोगों ने उठाए थे।

 

किन दलों ने कर दी Cross Voting

अब ये दो मोटे तौर पर मोटी मोटे तौर पर बातें हो गई। जैसा कि अनुमान था या नंबर्स की बात हो रही थी। तो उस लिहाज से एनडीए कैंडिडेट को 452 वोट मिले हैं। मतलब सीपी राधाकृष्णन को। जबकि अनुमान यह था कि एनडीए का जो नंबर है वह लगभग 427 के आसपास का था। दूसरी तरफ जो दूसरी तरफ जो आईएडीआई का वोटर है उसका नंबर जो है वो 315 होना चाहिए था लेकिन उनको 300 वोट मिले। तो यह जो एक बड़ा अंतर नजर आया यह अपने आप में नेतृत्व को चुनौती देने वाला आया इसलिए कि लगातार दावों के बावजूद राहुल गांधी और उनका पूरा का पूरा राजनीतिक इको सिस्टम अपने कैंडिडेट को उतना वोट भी नहीं दिला पाए जितना उनके पास था। ये एक पहलू हो गया। दूसरा पहलू यह हो गया है कि ये जो वोटर्स हैं जो 15 लोगों ने वोट नहीं दिया जो जानकारी निकल कर के आ रही है कि वो उसमें डीएमके के भी लोग हैं उसमें कांग्रेस के भी लोग हैं। उसमें शिवसेना के भी लोग हैं। उसमें और भी बहुत सारे राजनीतिक दल हैं जो कुल 25 ज्यादा वोट्स मिले हैं एनडीए को उसमे 11 वोट जो है वो जगन रेड्डी की पार्टी के वोटर्स थे तो उसको एनडीए अपने में काउंट नहीं कर रहा था। तो 11 के अलावा जो ये 14 बचते हैं 14 ये मतदाता 14 ये वोटर्स हैं अब ये कुल मिलाकर के अगर इनको आप देखें तो ये जो बात निकल कर के आ रही है कि ये 14 लोग हैं उन्होंने क्रॉस वोटिंग की है। अब इस 14 वोट जो क्रॉस वोटिंग है इसको आईएनडीआई ने भी एक्सेप्ट कर लिया है कि हां वोटिंग हुई है।

Congress के नेता Cross Voting चिंताएं बढ़ा दी

जयराम रमेश ने इसको लेकर सवेरे-सवेरे ट्वीट कर दिया था कि उनको उनके सारे वोट्स मिले हैं। पर पता चला है कि कांग्रेस के भी एक दो कैंडिडेट्स ने क्रॉस वोट किया है, और निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए चिंता की बात है। अब आईएडीए का जोपूरा का पूरा सिस्टम है वो दावा तो ये करता है कि वो एक साथ बीजेपी के खिलाफ खड़े हैं लेकिन ज्यादातर अवसरों पर वो उनकी यूनिटी जो है वो फ्रजाइल है। वो दिखती नहीं है। नजर नहीं आती है। और चाहे वो उनका विरोध तृणमूल कांग्रेस से हो चाहे उनका विरोध आम आदमी पार्टी से हो। बहुत सारे
मौकों पर महाराष्ट्र में विरोधाभास नजर आता है। लेकिन जो सबसे जरूरी चीज है जिस पर चर्चा होनी चाहिए और जो सबसे महत्वपूर्ण है वो यह है कि बिहार के चुनाव नवंबर अक्टूबर नवंबर में हो सकते
हैं।

 

Bihar चुनाव में महागठबंधन की एकता पर सवाल

अब बिहार में नवंबर में चुनाव होने हैं और अभी राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा खत्म की उसमें दो बड़े डेवलपमेंट हुए। अब इनकी बात इसलिए भी करना जरूरी है कि जो यह पूरा का पूरा आईएडीआई का अलायंस और इनकी यूनिटी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ अभियान है ये समझना जरूरी है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में वो टूटा है कि यूनिटी है। वोटर्स अधिकार यात्रा के दौरान लगातार पत्रकारों के पूछे जाने के बावजूद राहुल गांधी ने कभी भी ये कहीं भी नहीं कहा कि आईएडीआईए या महागठबंधन है उसके मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव होंगे। बावजूद इसके कि तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार मान लिया। इसके बाद जो रैली हुई वहां पर लालू प्रसाद यादव का कोई पोस्टर या बैनर नहीं दिखा। इसके अलावा जो कांग्रेस के बड़े मतलब कुछ नेता दक्षिण के हैं वो चाहे रेवंत रेड्डी हो या जो अलायंस पार्टनर्स हैं डीएम के वो जिस तरह से बिहार के लोगों के बारे में उनका कमेंट रहता है या कमेंट रहा है वो एक चुनौती वाली स्थिति है। रैली खत्म होने के बाद भी इस तरह की एक घटना आई जीएसटी को लेकर के जब बिहार और बीड़ी को एक साथ किया गया तो ये एक कंट्राडिक्शन है। दूसरा ये कि जिस तरह से तेजस्वी यादव को अलग-थलग रखा गया तेजस्वी यादव को इसकी इसका श्रेय नहीं मिला। बावजूद इसके कि भीड़ उन्हीं की इकट्ठा की हुई थी। तेजस्वी यादव एक यात्रा प्लान कर रहे हैं अकेले पूरे बिहार में चुनाव से पहले तो वो यात्रा सिर्फ इसलिए है कि जो गठबंधन का पूरा का पूरा जो गठबंधन की बात कही जा रही थी गठबंधन एक साथ चुनाव में है और एक साथ मजबूती के साथ लड़ रही है वो दिखा नहीं और इस पूरी

Bihar -चल रहा है Rahul vs तेजस्वी

यात्रा में वोटर अधिकार यात्रा में तेजस्वी जो हैं अह उनसे ज्यादा वो पूरी की पूरी यात्रा राहुल सेंट्रिक हो गई। राहुल को केंद्र में रख के नजर आई। तेजस्वी को उसका कोई एडवांटेज नहीं मिला। अब तेजस्वी को एडवांटेज नहीं मिला तो चुनाव में कितना फायदा तेजस्वी को होगा, कितना फायदा कांग्रेस को होगा ये तो महत्वपूर्ण मसला है। सारी की सारी यात्रा चुनाव के लिए की गई थी और अगर उसमें तेजस्वी को ही फायदा नहीं होगा। जो अपने आप को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मान रहे हैं। उनके नेता कह रहे हैं कि अगर महागठबंधन चुनाव जीत करके आता है अब अलग बात है कि महागठबंधन का जो अलायंस पार्टनर है कांग्रेस वही यही मानने के लिए तैयार है। लेकिन राष्ट्रीय लोकदल इस बात को मान करके राष्ट्रीय जनता दल इस बात को मान के बैठा हुआ है कि अगर चुनाव होता है और चुनाव जीतते हैं जीतती है महागठबंधन तो
तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होंगे। तो तेजस्वी यादव एक यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। तो अगर आप इस पूरे अह मामले को उपराष्ट्रपति चुनाव में जो यूनिटी की बात कही जा रही थी वह वोटर अधिकार यात्रा के एक की एकता की बात करें तो और अभी तेजस्वी यादव जो यात्रा प्लान कर रहे हैं उसकी बात करें तो कहीं पर भी ऐसा नहीं दिख रहा है कि अलायंस पार्टनर्स जो है वो मजबूती के साथ ना केवल आईडियोलॉजिकल लेवल पर बल्कि बल्कि भाजपा को काउंटर करने के लिए मजबूती के साथ खड़े हैं। यह सब जगह दिख रहा है। यह बड़ी चुनौती है और इसमें कांग्रेस को और राहुल गांधी को नेता मानने के लिए लगातार कांग्रेस कोशिश कर रही है। लेकिन वो एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है।

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