राधा मोहन सिंह कितने साल से जीतते आ रहे हैं बिहार पूर्वी चंपारण सीट
बिहार पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट से पांचवीं बार सांसद हैं भाजपा नेता राधामोहन सिंह हालांकि, शुरुआती दौर और बीच में यहां से कांग्रेस, कम्युनिस्ट और राजद के प्रतिनिधि चुने गए। लेकिन, राधामोहन सिंह को 1989 से अब तक पूर्वी चंपारण की जनता ने भाजपा के सांसद को हो संसद में भेजा है।
राधा मोहन सिंह की लगातार जीत के पीछे कारण उनके द्वारा यहां किए गए विकास कार्यों से अधिक भाजपा और आरएसएस का मजबूत सांगठनिक ढांचा है जिसकी गहरी पैंठ और व्यापक नेटवर्क जीत के लिए जमीन तैयार करता है और सही समय पर उसे अमली जामा पहनाता भी है।यही कारण है कि कार्यकर्ताओं के मामले में भाजपा मजबूत स्थिति में दिख आ रही है।
क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों ने जनता का विश्वास हासिल किया
विकास और स्थानीय मुद्दे इस क्षेत्र में हाल के वर्षों में जिले में कई बड़े कार्य हुए जैसे रेलवे स्टेशन का सौंदर्यीकरण कर उसे बेहतर लुक दिया गया। रेलवे लाइन का विद्युतीकरण कार्य पूरा हुआ। दोहरीकरण कार्य निर्माणाधीन है।
पीपराकोठी को कृषि के तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया गया। यहां राष्ट्रीय समेकित कृषि अनुसंधान केंद्र, बागवानी व वानिकी महाविद्यालय की स्थापना के साथ बंबू नर्सरी व पशुओं के सीमेन के लिए केंद्र खोला गया। कोटवा में मदरडेयरी प्लांट की स्थापना की गई। हरसिद्धि में गैस बॉटलिंग प्लांट की स्थापना हुई।
कौशल विकास के लिए केंद्र खोला गया। केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ कई छोटे-बड़े कार्य नियमित रूप से होते रहे।
कुछ काम की अभी भी जनता को उम्मीद
स्थानीय किसानों को उनकी उपेक्षा खटकती है। बंद चीनी मिलों को चालू कराने और गन्ना उत्पादकों का बकाया भुगतान भी लंबित है।
कैसे बना पूर्वी चंपारण
सन 1971 में चंपारण को विभाजित कर बनाए गए पूर्वी चंपारण का मुख्यालय मोतिहारी है। इस क्षेत्र की सीमाएं नेपाल से जुड़ती हैं। पुराण में वर्णित है कि राजा उत्तानपाद के पुत्र भक्त ध्रुव ने यहां के तपोवन नामक स्थान पर ज्ञान प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की थी। यह क्षेत्र देवी सीता की शरणस्थली भी रहा है। यहां भगवान बुद्ध ने लोगों को उपदेश दिए और विश्राम किया।यहां कई बौद्ध स्तूप भी हैं।
गिरिराज सिंह का जादू कैसे चला इन सीटों पर
भारत के लेनिनग्राड उपाधि से नवाजे जाने वाले बेगूसराय लोक सभा सीट पर दक्षिणपंथी भाजपा ने पिछले डेढ़ दशक से कब्जा जमाया हुआ है।ऐसा इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि बेगूसराय का निर्णायक भूमिहार मतदाता इधर काफी लंबे समय से भाजपा के साथ हो लिया है और बेगूसराय से भूमिहारों का भाजपा और लोक सभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह। वैसे राजनीतिक हलकों और गलियारों में बनी गिरिराज को उनके काम और क्षमता के लिए काम बल्कि ऊटपटांग बयानों के लिए ज्यादा जाना जाता है।
गिरिराज सिंह हाल में हुए आप चुनाव में तीसरी बार से बेगूसराय से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते हैं। इससे पहले वे बिहार नवादा संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर पहली बार लोक सभा पहुंचे थे।
काम से खुश है जनता
इस क्षेत्र में इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का बरौनी तेलशोधक कारखना, बरौनी थर्मल पावर स्टेशन और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर लिमिटेड आदि कारखाने प्रमुख हैं। यहां का महाविद्यालय ललित नारायण, महंथ कॉलेज, गणेश दत्त महाविद्यालय, महिला कॉलेज प्रमुख शैक्षिक संस्थान हैं।
बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र बिहार का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहां विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। देश के अन्य भागों खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाले चुनावी सीटों की तरह यहां भी चुनाव विकास को छोड़कर बाकी के महत्वहीन मुद्दो पर लड़ा और जीता जाता है। पिछले कुछ दशकों में वामपंथ की पकड यहां कमजोर हुई है। भूमिहारों का एक वर्ग अब भी सीपीआई के साथ है लेकिन इसका बड़ा वर्ग अब बीजेपी की तरफ रुख कर चुका है।
जाति आधारित जनसंख्या क्या है, इससे जुड़ा कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन पार्टियां जिन अनुमानित आंकड़ों का इस्तेमाल करती हैं, उसके मुताबिक बेगूसराय लोकसभा सीट में भूमिहारों की संख्या करीब 4.75 लाख है। वहीं मुसलमानों की जनसंख्या 2.5 लाख, कुर्मी-कुशवाहा की दो लाख और यादवों की संख्या करीब 1.5 लाख है। जाति आधारित ये आंकड़े दर्शाते हैं कि यहां की राजनीति भूमिहार समाज के इर्द-गिर्द घूमती रही है। पिछले दस लोकसभा चुनावों में से नौ के विजयी उम्मीदवार इसी समाज से रहे हैं। हालांकि उनकी पार्टियां जरूर अलग-अलग रही हैं।
1980 से 2014 के बीच बेगूसराय सीट पर दस बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। सिर्फ 2009 के चुनावों में ऐसा मौका आया जब बेगूसराय को एक मुस्लिम सांसद मिला। ये सांसद थे नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से डॉ. मुनाजिर हसन। 2014 के लोकसभा चुनावों में बेगूसराय की सीट भाजपा के खाते में गई थी।
भाजपा के भोला सिंह को करीब 4.28 लाख वोट मिले थे, वहीं राजद के तनवीर हसन को 3.70 लाख वोट मिले थे। दोनों में करीब 58 हजार वोटों का अंतर था। वहीं सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद सिंह को करीब 1.92 लाख वोट ही मिले थे।