fdc

दवाओं का काम है मरीज की सेहत को दुरुस्त करना लेकिन कई बार दवाएं खुद मरीज के लिए मर्ज बन जाती हैं। आज हम ऐसी ही दवाओं के बारे में बात कर रहे हैं जिन्हें एफडीसी कहा जाता है और इन दवाओं के खतरे को देखते हुए ऐसी ही बहुत सारी एफडीसी दवाओं को सरकार ने बैन कर दिया है। क्या है एफडीसी, इन दवाओं को क्यों बैन किया गया, क्या हैं इनसे खतरे, और इनके बजाय कौन-सी दवाएं हो सकती हैं फायदेमंद, सभी बाते जानते हैं हमारी इस रिपोर्ट में

क्या है FDC

What is FDC

FDC दरअसल एक तरह से दवाओं का कॉकटेल है। इसमें दो या ज्यादा दवाओं को मिलाकर नई दवा तैयार की जाती है। कुछ बीमारियों जैसे कि मलेरिया, टीबी या एचआईवी के इलाज के लिए एफडीसी दवाओं की इजाजत दी गई है। डायबीटीज़ और ब्लड प्रेशर के लिए भी कुछ FDC दवाओं को जरूरत होती है और ये दवाएं सरकार और डब्ल्यूएचओ, दोनों से अप्रूव्ड हैं लेकिन ज्यादातर बीमारियों के लिए FDC या कॉम्बिनेशन दवाओं की जरूरत नहीं होती।

फिर भी कंपनियां इन दवाओं को मार्केट में उतार देती हैं और ये चलन में आ जाती हैं। चूंकि अलग-अलग सॉल्ट को मिलाकर इन्हें तैयार किया जाता है तो कई बार इनमें ऐसे तत्व होते हैं, जिनकी जरूरत नहीं होती बल्कि अलग-अलग सॉल्स को साथ मिलाने से ये दवाएं नुकसानदेह भी साबित हो सकती हैं। कुछ बरस पहले स्वास्थ्य संबंधी मामलों की संसदीय समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में मार्केट में बिक रहीं ज्यादातर एफडीसी दवाओं को सेहत के लिए बेहद खतरनाक करार दिया था।

दो तरह की होती हैं एफडीसी ——- rational combination और irrational combination

Types of FDC

यहां जिन दवाओं को बैन किया गया है वो सभी irrational combination से बनी दवाएं हैं , जिनका मतलब है जरूरत ना होते हुए भी अपने फायदे के लिए दवाओं का मिश्रण बनाया गया है, इन दवाओं को कोई ट्रायल नहीं हुआ और ना ही इनके साइज इफेक्ट के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध है।

जैसे कि Nimesulide +Diclofenac के मिश्रण से बनी एक दवा है इसमें दोनों ही NSAIDs [Nonsteroidal anti inflammatory drugs] एजेंट माने जाते हैं , इसको खाने से दोनों मिश्रण साइड इफेक्ट को बढ़ाते हैं। जैसे की पेट की शिकायत के लिए tinidazole अच्छी दवा है लेकिन बाजारों में ज्यादातर इसे सिप्रोफ्लोक्ससिन (ciprofloxacin) और कईं और दवाओं के मिश्रण के साथ बेचा जाता है, मरीज को जरूरत ना होते हुए भी दूसरी मिक्स हुई दवा खानी पड़ रही है।

दूसरी कैटेगरी rational combination से बनी एफडीसी दवा की है जो कईं बीमारियों के इलाज के लिए कारगर हैं । इसका मतलब है दवाओं को पूरी जरूरत के हिसाब से आपस में मिक्स किया गया है। इनका पूरा ट्रायल हुआ है। जैसे कि फोलिक एसिड और आयरन के मिश्रण से बनी एफडीसी दवा , जोकि एनीमिया के साथ कईं और बीमारियों में भी बहुत फायदेमंद है।

गैर-जरूरी FDC को मंजूरी कैसे

आमतौर पर FDC दवाएं जरूरी नहीं होती। ये कितनी गैर-जरूरी हैं, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका में सिर्फ 500 एफडीसी दवाएं प्रचलित हैं, जबकि भारत में इनकी संख्या करीब 2,000 तक है। ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में भी ये दवाएं गिनती की हैं। इसकी वजह, वहां की ड्रग्स रेग्युलेटरी अथॉरिटी का ज्यादा जागरुक और नियमों का सख्त होना है।

वैसे, हमारे यहां भी केंद्र सरकार ने बहुत कम FDC दवाओं को मंजूरी दी गई है। अब सवाल यह भी है कि जब ज्यादा FDC दवाओं को मंजूरी नहीं दी गई तो फिर इतनी बड़ी संख्या में ये दवाएं मार्केट में आ कैसे आ गईं? FDC पर बैन लगाने के याचिकाकर्ता में से एक ऑल इंडिया ड्रग ऐक्शन नेटवर्क से जुड़े डॉ. अनुराग भार्गव के अनुसार आमतौर पर किसी भी दवा को तैयार करने के लिए ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया यानी केंद्र सरकार से इजाजत लेनी होती है।

सरकार कंपनी को कोई एक इंडिविजुअल ड्रग बनाने की इजाजत देती है लेकिन अक्सर दवा कंपनियां दो या ज्यादा पॉपुलर दवाओं को मिलाकर नई दवा तैयार कर मार्केट में उतर देती हैं। कायदे से FDC एक नई दवा होती है। इसका क्लीनिकल टेस्ट करने के बाद इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाना चाहिए। कंट्रोलर की मंजूरी के बाद ही से ही बाजार में उतारा जा सकता है। लेकिन आमतौर पर ऐसा नहीं होता।

दरअसल, केंद्र से इजाजत मिलने की गुंजाइश न होने पर कंपनियां अलग-अलग राज्यों के ड्रग कंट्रोलर के पास चली जाती हैं। राज्यों के नियम अलग-अलग हैं। ऐसे में कंपनियों को आसानी से परमिशन मिल जाती है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना तैयार होने वाली सभी FDC गैरकानूनी हैं।

कंपनियां क्यों बनाती हैं FDC

जब ये दवाएं जरूरी नहीं हैं तो फिर कंपनियां इन्हें बनाती क्यों हैं? इसकी कुछ वजहें सामने आती हैं:

  • कई बार कंपनियां नई दवा तैयार करने का दावा करने के लिए नई दवा बनाती हैं।
  • 2005 तक हमारे देश में प्रॉडक्ट नहीं, प्रोसेस पेटंट होते थे। मसलन किसी कंपनी को सिप्रोफ्लैक्सेसिन (Ciprofloxacin) बनाना था तो उसे बनाने के तरीके को पेटंट किया जाता था। ऐसे में प्रॉडक्ट पर ज्यादा ध्यान नहीं था। कंपनियां अपनी मनमर्जी से प्रॉडक्ट तैयार कर रही थीं।
  • नैशनल लिस्ट ऑफ असेंशियल मेडिसिन (NLEM) के अंदर आनेवाली दवाओं के दाम सरकार तय कर देती है। कॉम्बो वाली दवाएं इसमें शामिल नहीं हैं। प्राइज कंट्रोल से बचने के लिए कंपनियां इस लिस्ट में शामिल दवा के साथ दूसरी दवा मिलाकर नई दवा बना देती हैं। इस नई दवा पर प्राइज कंट्रोल नहीं होता। मसलन अगर लिस्ट में पैरासिटामोल 500 एमजी है लेकिन कंपनी पैरासिटामोल 650 एमजी बेच रही है या फिर किसी दूसरी दवा के साथ मिलाकर बेच रही है तो उसकी कीमतों पर कंट्रोल नहीं होता। इसका फायदा सीधे-सीधे कंपनी को मिलता है।
  • कंपनियों को भी इन्हें बनाना सस्ता पड़ता है। फिर ये चूंकि पहले से टेस्ट किए गए सॉल्ट पर बनती हैं इसलिए फटाफट तैयार हो जाती हैं। ऐसे में नया सॉल्ट खोजने और उससे दवा तैयार करने के मुकाबले इन्हें बनाना ज्यादा सहूलियत भरा होता है।

सस्ती और सहूलियत के लिए हिट

अनुमान है कि हमारे देश में एफडीसी दवाओं का बाजार करीब 3000 हजार करोड़ रुपये का है। सवाल है कि अगर ये दवाएं नुकसानदेह हो सकती हैं तो फिर इतनी बिकती क्यों हैं? इसकी बड़ी वजह है इनकी आसानी से उपलब्धता और कम कीमत होना।

  • इनमें ओवर द काउंटर (OTC) दवाओं की तादाद भी खासी है। ये वे दवाएं होती हैं, जिनके लिए डॉक्टर के परचे की जरूरत नहीं होती। इन्हें लोग केमिस्ट से खरीद कर इस्तेमाल कर लेते हैं।
  • अलग-अलग दो या तीन दवाओं का खर्चा उठाने के बजाय मरीज एक ही दवा खरीदना पसंद करता है।
  • कई डॉक्टर भी इन्हें लिखते हैं। आम लोगों को इन दवाओं के नुकसान के बारे में जानकारी नहीं होती इसलिए वे डॉक्टर द्वारा लिखी या फिर खुद केमिस्ट से खरीदकर यह दवा ले लेते हैं।

क्या-क्या हो सकता है नुकसान

Side Effects of FDC

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बहुत जरूरी नहीं हो तो किसी भी बीमारी के कॉम्बो दवा लेने से बचना चाहिए। बेहतर है कि एक ही दवा लें। जरूरत लगे तो दूसरी दवा ले सकती है लेकिन एक ही दवा में कई दवाओं को मिलाकर तैयार की गई दवा न लें। ऐसा करना खतरनाक हो सकता है।

मान लीजिए कि दर्द की दवा का लिवर या किडनी पर बुरा असर हो सकता है तो अगर उसी दवा के साथ दूसरी दवा का कॉम्बिनेशन लिया जाएगा तो जाहिर है नुकसान का खतरा बढ़ जाएगा और शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी बुरा असर हो सकता है। इसके अलावा, अगर इनसे एलर्जी हुई तो यह जानना मुश्किल होगा कि यह किस सॉल्ट से हुई? ऐसे में सही इलाज मिलने में देर हो सकती है। इन सबसे बड़ी बात, ये दवाएं इलाज के लिहाज से बेहतर हैं, इस बारे में भी संदेह है।

एफडीसी दवाओं से मरीजों को क्या क्या नुकसान हैं

एफडीसी दवाओं के इरराशनल काम्बिनेशन (irrational combination) से मरीजों की सेहत पर सीधा असर पड़ता है। जैसे किसी एफडीसी दवा में मौजूद एक दवा को मरीज को एक दिन में एक बार लेना है, लेकिन उसमें मौजूद दूसरी दवा को दिन में दो बार लेना मरीज के लिए ज्यादा फायदेमंद है । ऐसे में ये irrational combination है और मरीज के लिए ठीक नहीं है।

दवाएं मरीजों की कईं जरूरत के हिसाब से दी जाती हैं जैसे की उसकी उम्र, वजन, दवाओं से होने वाली एलर्जी लेकिन एफडीसी में ये सब बातें पूरी कर पाना बहुत मुशिकल होता हैं और अंत में इसका खामियाजा मरीजों को ही भुगतना पड़ता है।

किसी बीमारी के लिए आपको सिर्फ एक ही दवा की जरूरत है लेकिन एफडीसी दवा खाने से आप जरूरत ना होते हुए भी दो या तीन या उससे भी ज्यादा दवा खा रहे हो जो शरीर के लिए खतरा है

एफडीसी दवाओं से शरीर में बहुत सी दवाओं की रेजिसटेंस बढ़ रही है , मतलब बहुत सी दवा खासकर एंटीबायोटिक दवाओं का शरीर पर असर नहीं हो पा रहा है। क्योकिं आप उन्हे बार -बार किसी ना किसी रूप में ना चाहते हुए भी खा रहे हों।

डाक्टरों के मुताबिक ये बहुत बढ़ा खतरा है क्योंकि नई एंटीबायोटिक्स बन नहीं रही हैं और बहुत सी पुरानी एंटीबायोटिक्स का असर खत्म हो गया है।

यदि आपको एफडीसी में मौजूद किसी एक दवा से एलर्जी है तो आपको पता ही नहीं चल पाएगा कि एफडीसी दवा में मौजूद अनेक दवाओं के मिश्रण से कौन सी दवा आपको नहीं लेनी चाहिए। डाक्टरों के मुताबिक अभी तक हमारे पास अलग-अलग दवाओं के साइड इफेक्ट के बारे में जानकारी है और कुछ एफडीसी दवाओं के बारे में लेकिन बाजारों में हजारों की संख्या में बिकने वाली एफडीसी दवाओं के साइड इफेक्ट क्या हैं इसके बारे में अभी तक कोई भी पुख्ता जानकारी नहीं है। जैसे कि एफडीसी कि एक दवा जिसमें Azithromycin+Cefixime, का मिश्रण है । Azithromycin के जाने -माने साइड इफेक्ट्स हैं

पेट में दर्द होना , उल्लिटयां होना, डायरिया की शिकायत दूसरी तरफ Celfixime के जाने साइज इफेक्ट्स हैं—चक्कर आना, बुखार, सिरदर्द आदि। लेकिन अभी तक कोई भी ऐसी जानकारी रिसर्च , नहीं है जो इन दोनों के मिश्रण से बनी दवा के साइड इफेक्ट के बारे में बता सके।

-इसी प्रकार एक और एफडीसी दवा जिसमें Metronidazole और Norfloxacin का मिश्रण है। Metronidazole एंटीबायोटिक के साइड इफेक्ट हैं -भूख कम लगना, पेशाब की समस्या और Norfloxacin के साइड इफेक्ट हैं —-पेट दर्द, जो़ड़ो में दर्द आदि लेकिन इन दोनों के मिश्रण से बनी दवा के साइड इफेक्ट की कोई जानकारी नहीं है।

एक स्टडी बताती है कि फोर्थ जनरेशन यानी सबसे आधुनिक और नई एंटीबायोटिक से भी मरीजों में रेजीसटेंस देखा जा रहा है और इसका एक बड़ा कारण एंटीबायोटिक का मिससूज और एफडीसी दवाओं को माना जा रहा है

गंगाराम अस्पताल में हुई एक स्टडी से पता चला कि कई नईं एंटीबायोटिक का रेसीसटेंस भी हो गया है। इस स्टडी में २०१ मरीजों पर ढ़ाई साल तक सर्वे किया गया। ये सभी community acquired infections( बाहर से लिए गए इंफेक्शन) से पीड़ित थे, ये सभी मरीज तीन महीनों और ज्यादा समय से किसी भी हेल्थ सेवा के संपर्क में नहीं थे , इनमें से 2/3 मरीज E. coli and Klebsiella pneumoniae bacteria से पीड़ित थे और बहुत स्ट्रांग एंटीबायोटिक से भी ठीक नहीं हो पा रहे थे।

एफडीसी दवाओं से adverse drug reaction और adverse drug interaction

कई स्टडी बताती हैं कि एफडीसी दवाओं से एडवर्स ड्रग रिएक्शन( adverse drug reaction) ज्यादा होने के चांस रहते हैं । जैसे कि डायबीटीज की दवा खाने के बाद आपको चक्कर आए, कमजोरी लगे या किसी दवा को खाने से त्वचा की कोई बीमारी हो जाए। , दवाओं के adverse drug reaction होते हैं चाहे वो सिंगल हो या एफडीसी , लेकिन एफडीसी में ये चांस बहुत ज्यादा हो जाते हैं ।

एफडीसी दवाओं से एडवर्स ड्रग इंटरेक्शन होने की पूरी संभावना रहती है।स्टडी बताती है कि जब एक दवा में २-६ दवाओं का मिश्रण होता है तो एडवर्स ड्रग इंटरेक्शन—-adverse drug interaction होने की संभावना ४० फीसदी बढ़ जाती है। दवाओं का कांबिनेशन आपस में मिलकर किस तरह से रिएक्ट करता है, आपस में उनका तालमेल ठीक बैठता है या नहीं , शरीर में जाकर कईं बार उनका अपना ही रिएक्शन हो जाता है और बीमारी ठीक करने की बजाय मरीज को कईं और बीमारियां लग जाती है।

साइड इफेक्ट adverse drug reaction और adverse drug interaction में क्या अंतर है।

ज्यादातर दवाओं के साइड इफेक्ट डाक्टरों को पता होते हैं और मरीज को उसके बारे में पहले ही चेतावनी दे दी जाती है। किसी भी दवा के Adverse drug reaction के बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं होती , हर दवा मरीज पर अलग-अलग असर कर सकती है जैसे कि एक दवा खाने से किसी मरीज को हार्ट की समस्या आ सकती है तो दूसरे को किडनी की। शरीर के अंदर दो या तीन या उससे अधिक दवाओं के मिश्रण के रिएअक्शन से क्या हानि हो सकती इसे adverse drug interaction कहते हैं।

एफडीसी दवाओं के फायदे

Benefits of FDC
  • एक्सपर्ट का मानना है कि ऐसा नहीं है कि सभी एफडीसी दवाओं से नुकसान है। जो दवाएं रेशनल ( rational combination) से बनी हैं और जिनका ट्रायल हुआ है वो बहुत सी बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
  • डायबीटीज, एड्स, बीपी और कईं गंभीर बीमारियों में एफडीसी दवाएं बहुत कारगर है।
  • सिंगल डोज के मुकाबले ये दवाएं सस्ती होती हैं इनके निर्माण में कम पैसे खर्च होते हैं।
  • जिन मरीजों को एक दिन में बहुत दवाएं लेनी पड़ती हैं, उनके लिए भी एफडीसी फायदेमंद रहती है। ऐसा देखा गया है ज्यादा दवाई खाने के चक्कर में मरीज बहुत बार अपनी डोज ही मिस कर देता है। एफडीसी से डोज मिल करने का खतरा लगभग खत्म हो जाता है।
  • टीबी के मरीजों के लिए एफडीसी काफी फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि इस बीमारी में एक भी डोज मिस करना खतरनाक माना माना जाता है।

उपभोक्ता के लिए कुछ टिप्स

  • कभी भी बैन दवाओं को ना खाएं
  • डाक्टर से दवाओं के कामबिनेशन के बारे में पूछे, एफडीसी दवाए-इरराशनल काम्बिनेशन से बचकर रहें
  • कोशिश करें सिंगल डो़ज दवाओं का सेवन करें
  • एफडीसी कई बार जल्दी असर करती हैं खासतौर पर एंटीबायोटिक्स लेकिन बाद में नुकसानदायक है
  • दवाओं की एक्सपाइअरी डेट जरूर पढ़े
  • आवश्यक दवाओं की कमी की जरूर रिपोर्ट करें
  • डाक्टरों से दवा के सेवन के बारे में जरूर पूछें—मसलन कितने डो़ज, दिन में कितनी बार, खाने से पहले या बाद , दूध या पानी या जूस भी चलेगा क्या, क्योंकि कई दवाएं दूध के साथ रिएक्ट करती हैं।
  • दवाओं के साइड इफेक्ट के बारे में जरूर पूछें
  • दवाओं का पूरा कोर्स जरूर लें
  • दवाओं को ठंडी जगह या नार्मल तापमान पर स्टोर करें, गर्मी में दवाओं का असर खत्म हो जाता है।

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देशभर में इस्तेमाल होने वाली १० एंटीबायोटिक्स जिनका सबसे ज्यादा मिसयूज हो रहा है और साइड इफेक्ट देखे जा रहे हैं—-इन दवाओं के बने अलग-अलग एफडीसी को भी बैन किया गया है

  • Azithromycin ; कईं बैक्टीरिया इंफेक्शन को ठीक करती है, निमोनिया, ब्रोनकाइटिस, लंग इंफेक्शन में कारगर, कान के इंफेक्शन के लिए भी ।
    साइड इफेक्ट ——उल्लिटयां होना,गंभीर डायरिया, एलर्जी भी हो सकती है।
  • Ciprofloxacin ; ज्यादातर इस्तेमाल—टाइफाइड, लंग, यूरिनरी इंफेक्शन—-साइड इफेक्ट—गंभीर रूप से चक्कर आना, जोड़ो का तालमेल बिगड़ना, जोड़ों में बहुत दर्द, बीपी कम होना।
  • Augmentin; निमोनिया, यूरीनरी और चेस्ट इंफेक्शन में इस्तेमाल , इसके अलावा साइनस और स्किन इंफेक्शन में साइड इफेक्टस —खुजली होना, त्वचा लाल पड़ना कईं मामलों में बुखार और दौरे भी पड़ सकते हैं।
  • Ornidazole; प्रोटोजोआ से होने वाले इंफेक्शन में कारगर, इसके अलावा यूरिनरी इंफेक्शन । साइड इफेक्ट—- सुस्ती आना, उल्लिटयां, सांस लेने में समस्या, कमजोरी सिरदर्द
  • Norfloxacin; सत्री रोग इंफेक्शन , यूरिनरी इंफेक्शन, साइड इफेक्ट्स—-डायरिया, सिरदर्द, पेशाब में गडबड़ी
  • Levofloxacin; इस्तेमाल साइनस, निमोनिया, प्रोस्टेट समस्या, साइड इफेक्ट—-कब्ज, उल्लिटयां, पेट में दर्द
  • Metronidazole; पेट , vagina, लिवर और सांस की बीमारियों के लिए, —-साइड इफेक्ट—-नमनस, चिडिचिड़ापन
  • Ofloxacin; इस्तेमाल -निमोनिया, यूरिनरी इंफेक्शन, cellulitis, साइड इफेक्ट -——अपसेट पेट, सुस्ती, सोने में समस्या, डायरिया
  • Amoxicillin; कान, गले और टानसिल के लिए पहले लाइन की ट्रीटमेंट, साइड इफेक्ट्स—-आंतों की समस्या, एलर्जी, घबराहट।Doxyceline ; इस्तेमाल —कोलरा, मुंहासे ,सिपलिस( syphillis) , निमोनिया, साइड इफेक्ट—- डायरिया,
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