यह नारा झारखंड और महाराष्ट्र चुनावों में हिंदू वोटर्स को एकत्र कर सकता है

 

योगी आदित्यनाथ का दिया नारा — बटोगे तो कटोगे’ कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है क्योंकि इस नारे की बहुत ज्यादा चर्चा होने लगी है और विपक्ष को लग रहा है कि झारखंड और महाराष्ट्र चुनावों में यह नारा हिंदू वोटर्स को एकत्र कर सकता है। क्योंकि यूपी में तो योगी इस नारे को अकसर दोहराते ही हैं पर अब जब वह महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव प्रचार में जाते हैं तो इस नारे की गूंज पब्लिक के बीच भी गूंजती है। शायद यही कारण है कि इस नारे की काट करने के लिए विपक्ष भी कईं तरह से हथकंडे अपना रहा है

मल्लिकार्जुन खरगे ने लगाया आरोप यह नारा लोगों के बीच नफरत फैला रहा उन्हें बांट रहा

इस नारे को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का बिना नाम लिए उनपर जोरदार हमला बोला है.  खरगे ने कहा कि कई नेता साधु के वेश में रहते हैं और अब राजनेता बन गए हैं। मुख्यमंत्री भी बन गए हैं। वे ‘गेरुआ’ कपड़े पहनते हैं और उनके सिर पर बाल नहीं हैं। मैं बीजेपी से कहूंगा कि या तो सफेद कपड़े पहनें। यदि आप संन्यासी हैं और ‘गेरुआ’ कपड़े पहनते हैं तो आप राजनीति से बाहर हो जाएं। एक तरफ आप ‘गेरुआ’ कपड़े पहनते हैं और दूसरी तरफ आप कहते हैं ‘बटोगे तो कटोगे’।  लोगों के बीच नफरत फैला रहे हैं और उन्हें बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

खरगे ने चेताया लोग सबक सिखाएंगे

कांग्रेस अध्यक्ष  मुंबई में प्रचार के दौरान बीजेपी पर निशाना साध रहे थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता भड़काऊ भाषण देकर और झूठ बोलकर मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका रहे हैं। खरगे ने कहा की जो लोग चाहते हैं कि देश एकजुट रहे, वे कभी भी इस तरह की विभाजनकारी टिप्पणियां नहीं करेंगे।

अखिलेश ने भी कहा देश के इतिहास में सबसे ख़राब नारा

इससे पहले समाजवादी पार्टी के अधयक्ष अखिलेश यादव ने भी इस नारे को लेकर तीखी टिप्णियां की थी। उन्होनें कहा था कि ना हम  बंटेंगे ना कटेंगे। अखिलेश ने यह तक कह दिया कि  2027 में नफरत करने वाले हटेंगे और  हिंदू-मुस्लिम एक रहेंगे तो नेक रहेंगे। अखिलेश ने योगी पर जबरदस्त वार करते हुए यह भी कहा था कि देश के इतिहास में ये नारा सबसे ख़राब नारा होगा। अखिलेश ने कहा कि इस  नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10% मतदाता बचे हैं अब वो भी खिसकने के कगार पर हैं, इसीलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन ऐसा कुछ होनेवाला नहीं।

यह नारा हो रहा लोकप्रिय

जो भी जिस तरह से मलिलकाअर्जुन खरगे से लेकर अखिलेश यादव और विपक्ष के कई कद्दावर नेता अपनी चुनाव रैलियों में इस नारे का लगातार जिक्र कर रहे हैं उससे लगता तो यही है कि यह नारा विपक्ष की रातों की नींद उड़ा रहा है।

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