याद कीजिए देश में जब भयंकर कोराना काल चल रहा था, पूरे देश में काम ठप था, लोग ना केवल अपनी  जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे, बलि्क बहुतों के लिए रोटी पानी जुटाना मुशिक्ल हो रहा था क्योंकि complete लाकडाउन चल रहा था पर दिल्ली में कईं अधिकारी यह सलाह दे रहे थे कि कहां, कब, कैसे कौन कौन से सांस्क़ृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जाने हैं, सुनने में हैरानी होती है ना पर यह सच है, जी हां कोरानो समय में केजरीवाल सरकार ने  साहित्य कला परिषद और उर्दू अकादमी में  तीन सलाहकारों की नियुक्ति कर दी इन्हें कई महीनों तक बिना काम किए  वेतन दिया जाता रहा। जी हां अब नई बीजेपी सरकार एक एक करके ऐसे ही घोटालों की जांच कर रही है और  जांच के दौरान ही  यह घोटाला सामने आया है। सरकार को आशंका है कि जब जांच आगे बढ़ेगी तो कईं और  विभागों में भी इस  तरह के घोटाले सामने आएंगे। फिलहाल जांच यही चल रही है कि कोराना काल में जब कोई काम नहीं था और सांस्कृतिक आयोजनों का तो कोई मतलब नहीं था तो किसके कहने पर  साहित्य कला परिषद में  सिन्धु मिश्रा की नियुक्ति हुई इन्हें वेतन के रूप में कुल तीन लाख से ज्यादा रूपए दिए गए।दूसरी तरफ उर्दू अकादमी में कुमार एमपी और मुस्तहसन अहमद जैसे सलाहकारों की नियुकित भी जांच के दायरे में चल रही है। वैसे आपको बता दें कि कैग रिपोर्ट जिसे केजरीवाल सरकार दबा कर बैठी थी उसके सामने आने से वो वो घोटाले सामने आ रहे हैं जिसपर एक  आम आदमी को विश्वास करना मुशिकल ही हो रहा है  कि आम लोगों के लिए बनाई गई पार्टी का दावा करने वाली केजरीवाल सरकार कितनी भ्रष्ट निकली

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