बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि एक बहुत ही ईमानदार नेता की चाहे बनी हुई हो पर घपलो धोटालों के मामलों में बिहार हमेशा आगे ही रहता है, अब हाल ही में एक बड़ा घोटाला सामने आया है जी हां नीती कुमार की ओर से करवाए जाने वाले Bihar Land Survey के दौरान में बिहार में भूमिहीन परिवारों को जमीन आवंटन के मामलों में अनियमितताएं सामने आई हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक तरफ जहां भूमि पाने वाले 52 प्रतिशत परिवारों के आवेदन घपला पाए जाने के कारण रद्द कर दिए गए वहीं दूसरी तरफ कई योग्य भूमिहीन परिवारों को अयोग्य करार देकर इस लिस्ट में शामिल ही नहीं किया गया। पता चला कि अब तक सिर्फ 48,000 परिवारों को ही जमीन मिली और कई जगह तो मुसहर, दलित और महादलित समुदायों के परिवारों को भी अयोग्य बता दिया गया।वैसे आपको बता दें कि बिहार सरकार की योजना बसेरा-दो के तहत तमाम भूमिहीन परिवारों को भूमि देने का प्रावधान है। इसके तहत राज्य सरकार भूमिहीन परिवारों को 5 डिसमिल तक जमीन देती है। इस योजना की जब जांच की गई तो इतना बड़ा घोटाला सामने आया वैसे कोई और समय होता तो शायद दोषी अधिकारी किसी तरह बच भी जाते पर जनाब चुनावी साल है और ईमानदार मुख्यमंत्री अफसरों की इस लापरवाही और भ्रष्टाचार की उन्हें कड़ी सजा देने के मूड में हैं।
WEST BENGAL —-ममता दीदी को क्यों लगा करारा झटका-धरती पर आई

बंगाल में सभी मानते हैं कि दीदी अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक विशेष वर्ग का विशेष ही ख्याल रखती हैं पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने ऐसा कर दिया कि बंगाल सरकार को घरती पर ला खड़ा किया और एक सबक भी दे दिया कि धर्म के आधार पर राजनीती नहीं की जा सकती। जी हां हाई कोर्ट ने अपने फैसले में बंगाल सरकार की नईं ओबीसी लिस्ट पर 31 जुलाई तक रोक लगा दी है, जिसमें मुस्लिम उप-समूहों की संख्या 77 से बढ़कर 80 कर दी गई थी। हाई कोर्ट ने इसमें कुछ कमियों को उजागर करते हुए अपना आदेश देते हुए यह भी कह दिया कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो राज्य सरकार क्यों आगे बढ़ रही है। कोर्ट ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई नहीं कर लेता, तब तक आप लोग शांत रहें।बस बीजेपी को तो जैसे मौके की तलाश थी, आर्डर आते हैं बीजेपी ने तंज मार दिया कि राज्य में मुसलमानों को खुश करके अपनी राजनीती चमकाने की ममता बनर्जी की कोशिश को बड़ा झटका लगा है। BJP नेता अमित मालवीय ने खुलकर कहा कि यह आर्डर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुष्टीकरण की राजनीति को आइना दिखाने जैसा है, मालवीय ने यह भी कहा कि TMC सत्ता में बने रहने के लिए किस हद तक जा सकती है नई ओबीसी लिस्ट उसका सबूत थी। वैसे ममता दीदी का अपने बचाव में यह कहना है कि सरकार ने लिस्ट बनाते समय सिर्फ यह देखा गया कि कौन पिछड़ा है, यह नहीं देखा गया कि कौन किस धर्म का है। खैर आने वाला समय बताएगा कि यह फैसला टिक पाता है या नहीं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होनी है।
