चुनाव से पहले बिहार में कांग्रेस में शुरू हुई अंदरूनी कलह के चलते चर्चाओं का बाजार गर्म है कि बिहार में भी कांग्रेस का हाल हरियाणा जैसा होने वाला है। हरियाणा में तो इस कलह के चलते कांग्रेस चुनाव जीतते जीतते रह गई, और बिहार में जो भी सीटें मिलनी हैं वो कांग्रेसी नेताओं के बीच चल रहे विवादों से खटाई में पड़ सकती हैँ। जी हां यहां बात हो रही है कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के बीच उठे विवाद की। एक तरफ कांग्रेस के हाल ही में बने प्रदेश प्रभारी कृषणा अल्लावारू कहते हैं कि चुनाव होने के बाद ही विधायक दल की बैठक में तय करेंगे कि जीत की सूरत में मुख्यमंत्री की गद्दी कौन संभालेगा , पर दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह साफ और खलेआम बयां कर रहे हैं कि तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री होंगे। वैसे आपको बता दें कि हाल ही में प्रभारी पद से हटाए गए अखिलेश पर एक बड़ा आरोप यह भी था कि उन्हें कांगेस के ज्यादा rjd के हित की ज्यादा चिंता थी और लालू और तेजस्वी की ही सुनते थे। हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्ल्किार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस नेताओं के साथ दिल्ली में बिहार चुनाव की रणनीति तय करने के लिए एक बैठक की थी जिसमें पार्टी हाईकमान ने महागठबंधन में रहकर ही चुनाव लड़ने की बात स्पष्ट कर दी और इसके बाद कृष्णा अल्लावारू ने मीडिया के सामने साफ कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इसका फैसला विधायक दल की बैठक में होगा, तेजस्वी को उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए नकार दिया पर बैठक हुए 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि अखिलेश जी ने पूरे बयान को धता बताते हुए कह दिया कि बिहार में rjd सबसे ताकतवर दल है और जैसे कि पिछला चुनाव भी तेजस्वी के चेहरे पर लड़ा गया था। 2025 का चुनाव भी उन्हीं के चेहरे पर लड़ा जाएगा। यह कहकर उन्होंने अपने और कृषणा अल्लावरू के बीच की तल्लखियों को जगजाहिर कर दिया कि इस बार में कौन क्या कहता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।