Pregnancy विशेष Hormones दिमाग को तैयार करते अच्छी मां बनने के लिए
मां क्यों होती है शिशु से सबसे ज्यादा करीब – पता चल गया
हम सभी को इस बात का आश्चर्य तो जरूर होता है कि पैदा होते ही मां अपने शिशु से इतनी ज्यादा कैसे जुड़ी होती है। मानव के अलावा हम जानवरों को भी देखते हैं कि किस तरह से अपने बच्चों की सुरक्षा, उनके खाने-पीने का इंतजाम करने के लिए मां जान की बाजी लगा देती है। जबकि दूसरी तरफ पैदा हुए बच्चों के पिता का बच्चों से इतना ज्यादा जुड़ाव नहीं देखने को मिलता । लेकिन एक नईं खोज ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि मां का पैदा होते ही अपने बच्चों से इतना प्यार, इतना अपनापन क्यों होता है। जबकि उनके पिता उनसे इतना नहीं जुड़ें होते हैं।
इस पूरी रिसर्च को Science मैगजीन में प्रकाशित किया गई है।
लंदन में मौजूद Francis Crick Institute biomedical research Centre ने अपनी रिसर्च में पाया कि गर्भावस्था के दौरान कुछ खास तरह के Hormones बनने शुरू हो जाते हैं और जिनका मकसद होता है गर्भवती महिला के दिमाग को मां बनने के लिए , आने वाले शिशु की देखभाल, मातृत्व लिए एक नए ढंग से तैयार करना। वैज्ञानिक मान रहे हैं कि इन्हीं हार्मोंस के कारण पैदा होते ही बच्चे के साथ मां की सबसे ज्यादा बांडिंग देखी जाती है। मां का अपने बच्चे से स्नेह, रात-रात भर जगकर उसकी हर परवरिश पर ध्यान देने के लिए मां को उसका दिमाग पहले से ही तैयार करता है। जानकर इस बात को आसान भाषा में समझाते हैं कि एक यंग लड़की जो परिवार, जिम्मेदारी, बच्चों के लालन-पालन से बिल्कुल बेखबर होती है लेकिन जैसे ही शादी के बाद मां बनती है, शिशु गोद में आता है, उसकी देखभाल वो इस तरह करती है मानो पूरी तरह से प्रशिक्षित हो।
गर्भवती मादा चूहों के दिमाग पर रिसर्च
वैज्ञानिकों ने गर्भवती मादा चूहों के दिमाग पर रिसर्च की और पाया ,गर्भावस्था के दौरान मादा चूहों में इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हारमोंस दिमाग में मौजूद neurons के छोटे से भाग को प्रभावित करते हैं और उसे मां बनने के लिए तैयार कर रहे हैं। एक्सपर्ट मानते हैं यह एक बड़ी वजह हो सकती है कि पैदा होते ही मां अपने शिशु से बहुत ज्यादा करीब होती है क्योंकि उसका दिमाग उसे पहले से शिशु के होने के अनुभव से तैयार करके रखता है।
मां-शिशु की Bonding कईं में ज्यादा कईं में कम
यह पाया गया है कि मादा चूहा छोटे बच्चों से ज्यादा मेल-मिलाप नहीं करती लेकिन मां बनते ही वह ज्यादा से ज्यादा समय अपने बच्चों के साथ ही गुजारती है। रिसर्च में यह भी पाया गया कि कईं मामलों में मां बनने के एक-दो महीने तक शिशु और मां की बांडिंग जबरदस्त बनी रहती है और फिर थोडी कम हो जाती है लेकिन कईं में यह बांडिंग लंबे समय तक चलती रहती है जिससे वैज्ञानिकों ने यही निष्कर्ष निकाला कि यह अलग अलग केस पर निर्भर करता है कि गर्भावस्था के दौरान दिमाग को नए ढंग से तैयार करने का रिजल्ट कितनी देर चलेगा या जल्दी खत्म हो जाएगा।
शऱीर में ब्रेस्ट फींडिंग करवाने के लिए दूध का उत्पादन बहुत पहले से शुरू
कईं रिसर्च से बात तो पहले भी साबित कर चुकी हैं कि गर्भवती महिला के शरीर में आने वाले शिशु की देखभाल करने के लिए काफी परिवर्तन होने शुरू हो जाते हैं जैसे कि महिला के शऱीर में ब्रेस्ट फींडिंग करवाने के लिए दूध का उत्पादन होने की प्रक्रिया बहुत पहले ही शुरू हो जाती है। लेकिन नईं रिसर्च से यह भी पता चला कि शरीर के अलावा आने वाले बच्चे को लेकर दिमाग में भी परिवर्तन होता है।
दिमाग को कहां से जानकारी मिलती है मां को तैयार करने की
वैज्ञानिकों का मानना है कि चूहों की तरह मानव में भी इस तरह के परिवर्तन होते होंगे क्योंकि जन्म लेते ही मां अपने बच्चे से जिस तरह से प्यार और दुलार करती है लगता है कि कितनी पुरानी बांडिंग है। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि गर्भवती महिला मां की जिम्मेदारी , मां के प्यार के बारे में पहले से ही तैयार करने के लिए दिमाग को कहां से जानकारी मिलती है।